दक्षेस को मजबूत करने में जुटे मोदी

Last Updated 31 Oct 2014 05:31:52 AM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पूरी कोशिश दक्षेस को एक ताकतवर मंच के रूप में विकसित करने की है.




प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो)

नेपाल में 26- 27 नवम्बर को होने जा रही दक्षेस की 18 वीं शिखर वार्ता में भारत का पूरा जोर पड़ोसी देशों में यह भरोसा कायम करने पर रहेगा कि इस क्षेत्र में वह बड़े भाई की भूमिका निभाने को पूरी तरह तैयार है और जरूरत पड़ने पर दक्षेस देशों की हर संभव मदद की जाएगी. 

प्रधानमंत्री मोदी दक्षेस शिखर सम्मेलन में भारत की तरफ से कोई बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं. 

प्रधानमंत्री मोदी की पूरी कोशिश दक्षेस को एक ताकतवर मंच के रूप में विकसित करने की है. दक्षेस देशों को विास में लेने की रणनीति के पीछे इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कूटनयिक कोशिश भी है. सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सड़क मार्ग से जा सकते हैं.

उनकी यात्रा में नेपाल के तीन  बड़े धार्मिक स्थल भी शामिल होंगे. शिखर वार्ता से इतर प्रधानमंत्री मोदी की नेपाल में लुंबिनी, जनकपुर व मुक्तिनाथ भी जाने की योजना है.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. गौरतलब है कि जनकपुर में राम जानकी मंदिर है. यह वही स्थान है जहां माता सीता ने जन्म लिया था, तो वहीं लुंबिनी महात्मा बुद्ध की जन्म स्थली है.

सूत्रों के अनुसार दक्षेस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मिलने की योजना नहीं है. सूत्रों के अनुसार मोदी इस मौके का उपयोग आतंकवाद के मुद्दे पर पाक को अलग-थलग करने में कर सकते हैं.

पिछले दिनों पाकिस्तान द्वारा युद्ध विराम के उल्लंघन और बड़े पैमाने पर भारत के रिहायशी इलाकों में गोलाबारी के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने की तैयारी है. इसके अलावा आतंकवाद के मुद्दे पर पाक की  कथनी और करनी में अंतर पर भी उसे घेरा जा सकता है.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस सम्मेलन में भारत का पूरा जोर दक्षेस देशों के प्रति भारत के संबंधों को और मजबूती देने पर रहेगा. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस नेताओं को आमंत्रित कर संकेत दिया था कि भारत की विदेश नीति में सबसे पहले पड़ोसी देश हैं.

बाद में प्रधानमंत्री ने खुद भूटान और नेपाल की यात्रा कर इस संकेत को और मजबूती दी तो वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज बांग्लादेश के दौरे पर गईं.

सूत्रों के अनुसार भारत की कोशिश है कि वह दक्षेस देशों में बड़े भाई की भूमिका को न कवल निभाए, बल्कि इस बात का भरोसा भी दक्षेस देशों को दिलाया जाए.

दक्षेस को लेकर भारत की मोदी सरकार विदेश नीति कूटनयिक तरीके से इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी दक्षेस शिखर सम्मेलन में भारत की तरफ से कोई बड़ी घोषणा भी कर सकते हैं.

प्रतीक मिश्र
एसएनबी


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