अंतरिक्ष में भारत की बड़ी कामयाबी, मंगल की कक्षा में स्थापित हुआ मंगलयान
अंतरिक्ष की दुनिया में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया गया है.
मंगल यान को लाल ग्रह की कक्षा में कराया जाएगा प्रवेश |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को इस कामयाबी पर बधाई दी है. पहली कोशिश में मंगल पहुंचने वाला भारत पहला देश बन गया है.
भारत ने असके साथ ही अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में इतिहास रच दिया है. यान के सुसुप्त मुख्य इंजन का परीक्षण सफल होने के बाद इसरो के वैज्ञानिक काफी आश्वस्त हैं. मंगल अभियान के अंतिम चरण से जुड़ा कार्य सुबह सात बजकर 17 मिनट 32 सेंकेड में एलएएम के साथ आठ छोटे तरल इंजन को करीब 24 मिनट के लिए प्रणोदित किया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मार्स आर्बिटर के मंगल की कक्षा में स्थापित करने से जुड़े महत्वपूर्ण कार्य के साक्षी बने और वह इसरो के टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के अंतरिक्ष यान नियंत्रण केंद्र में मौजूद रहे.. मार्स आर्बिटर मिशन (मंगलयान) पर 300 दिन तक सुशुप्ता अवस्था में रहने के बाद मंगल यान का मुख्य इंजन सोमवार को प्रणोदित हुआ. 440 न्यूटन लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) इंजन को चार सेंकेड के लिए चालू किया गया. इससे इस अंतरिक्ष यान के मंगल की कक्षा में सफल प्रवेश के बारे में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का विश्वास बढ़ा है.
मार्स आर्बिटर अंतरिक्ष यान एक दिसम्बर 2013 को आखिरी बार प्रणोदित किया गया था. सोमवार को मुख्य इंजन को प्रणोदित करने के साथ परिपथ में सुधार का कार्य भी किया गया. 66.6 करोड़ किलोमीटर की यात्रा पर निकला यह अंतरिक्ष यान पिछले एक दिसम्बर को पृथ्वी के गुरुत्व क्षेत्र के दायरे से बाहर निकला था. इसरो ने पहले ही निर्देश अपलोड कर दिया है ताकि अंतरिक्ष यान को स्वत: कक्षा में प्रवेश में मदद मिल सके. सोमवार को मुख्य इंजन को चार सेकेंड के लिए प्रणोदित करने में सफल रहने के बाद इसरो के प्रमुख के राधाकृष्णन ने कहा था, ‘अंतरिक्ष यान ठीक है. इसने मंगल के लिए 98 फीसद यात्रा पूरी कर ली है और अब हम उस महत्वपूर्ण अभियान के लिए तैयार हैं जो 24 सितंबर की सुबह होगा.’
इस सफलता के मायने
- मंगलयान लालग्रह की कक्षा में स्थापित होने पर भारत प्रथम प्रयास में ही ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है.
-मंगलयान की सफलता एशिया में भी पहली है.
-मिशन के सफल होने पर इसरो लालग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने वाली दुनिया की चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बन गया है.
-यूरोपीय, अमेरिकी और रूसी एजेंसियां मंगल की कक्षा या ग्रह पर उतरने में सफल रही हैं लेकिन इनके कई प्रयास असफल रहे
जोखिम भी हैं राह में
-मंगल अभियान की विफलता की दर काफी अधिक है. अब तक 51 अभियानों में से केवल 21 सफल रहे हैं. 2011 में चीन का ऐसा ही एक अभियान विफल रहा था.
कक्षा में प्रवेश की प्रक्रिया
-24 सितम्बर को अपने गंतव्य पर पहुंचने के अंतिम चरण में मंगलयान की रफ्तार को 22.1 किलोमीटर प्रति सेकेंड से कम करके 4.4 किमी प्रति सेकेंड किया गया ताकि वह मंगल की कक्षा में बना रह सके.
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