जम्मू कश्मीर में बेकाबू बाढ़ के बाद बीमारी का खतरा बढ़ा
जम्मू कश्मीर में भारी बारिश से मची तबाही के बाद से अब तक करीब 2 लाख से ऊपर लोगों को बचाया गया है और अभी लाखों लोग बाढ़ में फंसे हैं.
जम्मू कश्मीर में बाढ़ |
कश्मीर घाटी के बीच में बाढ़ का पानी कम हो रहा है वहीं उत्तरी हिस्से में झेलम नदी की वजह से पानी में कुछ और बढ़ोत्तरी हुई है.
बाढ़ का पानी तो कम हो रहा है लेकिन इसकी वजह से वहां भीषण बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है.
रेडक्रास की मदद से वहां बचाव कार्य के लिए रबर की नावें लोगों को राहत सामग्री पहुंचा रही हैं. बिजली पूरी तरह से बहाल ना होने की वजह से वहां बड़े-बड़े जनरेटर लगाए गए हैं जिससे बाढ़ का पानी बाहर निकाला जा रहा है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कश्मीर का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मिलकर वहां बाढ़ की वजह से सम्भावित बीमारी के खतरे के बारे में चर्चा की.
केंद्र द्वारा वहां भेजी गयी मेडिकल टीम के कार्यों से उमर अब्दुल्ला ने संतुष्टि जताई है. केंद्र की ओर से कई टन दवाईयां वहां भेजी जा चुकी हैं.
बाढ़ से लबालब भरे श्रीनगर शहर में लोगों तक दवाईयां पहुंचाने के लिए रबर की नावों का प्रयोग किया जा रहा है. वहीं लोगों को निकालने का काम हेलिकाप्टर से रात-दिन जारी है.
बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में महामारी फैलने से रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भेजने सहित अन्य सभी प्रकार की चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने का रविवार को आश्वासन दिया.
बाढ़ प्रभावित राज्य और वहां चल रहे चिकित्सा शिविरों का दौरा करने के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.
हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने राज्यपाल एनएन वोहरा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के साथ बैठकें करने के अलावा अधिकारियों से स्थिति पर चर्चा की. बाढ़ के कारण प्रदेश में खसरा फैलने का खतरा है.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि हम हर संभव मदद मुहैया कराएंगे.’’
राज्य में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की जरूरत के संबंध में हर्षवर्धन ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है कि यदि तैनाती की विस्तृत योजना के साथ अनुरोध किया गया तो उसकी पूर्ति की जाएगी.
यह कहने पर कि राज्य स्वास्थ्य विभाग ने कम से कम 300 चिकित्सा कर्मियों की मांग की है, उन्होंने कहा, ‘‘हम उनकी हर जरूरत पूरी करेंगे. हमारी टीमें तैयार हैं और हम उन्हें तुरंत भेज सकते हैं.’’
केन्द्र की सहायता को लकर प्रतिबद्धता जताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय गृहसचिव अनिल गोस्वामी पिछले छह दिन से यहां डेरा डाले हुए हैं और राहत कायरें पर नजर रखे हुए हैं. इससे बेहतर उदाहरण क्या हो सकता है.
जम्मू-कश्मीर के कई डॉक्टर अभी तक ड्यूटी पर नहीं पहुंचे हैं, इस तथ्य पर अफसोस जताते हुए हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य प्रशासन को अपने सभी कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाना चाहिए और इस तरह की स्थिति में किसी को भी अवकाश नहीं मिलना चाहिए.
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