विपक्ष के नेता पद को लेकर कांग्रेस, भाजपा के बीच वाद-विवाद

Last Updated 22 Aug 2014 11:12:36 PM IST

विपक्ष के नेता पद को लेकर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच शुक्रवार को वाद-विवाद हो गया.




कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा (फाइल फोटो)

कांग्रेस ने जहां राजग सरकार पर ‘‘विपक्ष का अपमान’’ करने का आरोप लगाया वहीं भाजपा ने सही परम्पराओं को लेकर ‘‘हंगामा’’ करने पर उसकी आलोचना की.

उच्चतम न्यायालय ने एलओपी को मान्यता नहीं देने की स्थिति में स्वायत्तशासी निकायों में चयन के मामले में लोकसभा में विपक्ष के नेता पद के प्रावधान की व्याख्या करने के मुद्दे को देखने का निर्णय किया.

सरकार से दो हफ्ते के अंदर अपना रूख स्पष्ट करने को कहते हुए मुख्य न्यायाधीश आर. एम. लोढा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पद की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि विपक्ष का नेता सदन में सरकार से अलग विचारों का प्रतिनिधित्व करता है.

\"\"उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी की सराहना करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि यह पार्टी के रूख को ‘‘सच ठहराता’’ है. उन्होंने आरोप लगाए कि लोकसभा में विपक्ष का नेता पद देने से इंकार करने का लोकसभा अध्यक्ष का निर्णय ‘‘भाजपा के एजेंडे से प्रभावित’’ दिखता है.

उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि वह विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं लेकिन उनके काम उनकी बातों से ‘‘एकदम विपरीत’’ हैं.

पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि टिप्पणी के माध्यम से उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिए हैं कि मामले में ‘‘पक्षपाती’’ निर्णय नहीं किए जाने चाहिए और उच्चतम न्यायालय के सुझावों का सम्मान किया जाना चाहिए.

बहरहाल भाजपा प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष लोगों के प्रतिनिधियों की प्रमुख हैं और उन्होंने नियमों एवं परंपराओं के मुताबिक निर्णय किया है.
     
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस गलत परम्पराएं अपनाती रही है और जब सही परम्परा का पालन किया जा रहा है तो वह हंगामा कर रही है.’’

\"\"अदालत की टिप्पणी के बारे में शहनवाज ने कहा, ‘‘विधायिका के मामले में संसद सुप्रीम है और और इसे नियमों एवं परम्पराओं के मुताबिक काम करना है. नियम और प्रक्रिया तय करने वाली संसद ही विपक्ष के नेता पद का निर्णय करेगी. हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं लेकिन इस मुद्दे पर निर्णय करना विधायिका का काम है.’’
     
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कांग्रेस से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष के निर्णय का सम्मान करे न कि लोकसभा में इसे विपक्ष के नेता पद के दर्जे की मंजूरी का.

गोरखपुर में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘संविधान के मुताबिक पार्टी को कम से कम 10 फीसदी सीट मिलनी चाहिए (विपक्ष के नेता पद के दर्जे के लिए). लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ. इसलिए उन्हें यह स्वीकार करना चाहिए.’’

लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में कांग्रेस के पास 44 सीटें हैं. वह विपक्ष के नेता पद के लिए जोरदार प्रयास कर रही है लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा ने इसका विरोध किया है. भाजपा का कहना है कि उसके पास आवश्यक 10 फीसदी सीट नहीं है जिसका मतलब है कि उसे दावा करने के लिए 55 सीटों की जरूरत है.



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