मद्रास हाईकोर्ट के भ्रष्टाचार के आरोपी जज की नियुक्ति मामले में पीएमओ ने डाला था दबाव!
भ्रष्टाचार के आरोपी मद्रास हाईकोर्ट के एक जज का कार्यकाल बढ़ाने के विवाद में नया मोड़ आ गया है.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल फोटो) |
एक हिंदी टीवी चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक मद्रास हाइकोर्ट के भ्रष्टाचार के आरोपी एक जज का कार्यकाल बढ़ाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीन सबसे वरिष्ठ जजों ने खिलाफ राय दी थी. इसके बावजूद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कथित रूप से उस जज का कार्यकाल बढ़ाने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया था.
मई 2005 में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने सुप्रीम कोर्ट के जजों के कलोजियम को एक पत्र लिख कर मद्रास हाईकोर्ट के जज को स्थायी करने का समर्थन किया था, जबकि सुप्रीम कोर्ट के जज उसके बाद भी नहीं माने. तब तत्कालीन कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज ने कलोजियम को पत्र लिखकर उस जज की सिफारिश की थी, जिसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस आरसी लोहाटी ने जज के कार्यकाल को बढ़ाया था, लेकिन स्थाई नहीं किया.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने इसी सप्ताह खुलासा किया था कि यूपीए सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपी मद्रास हाई कोर्ट के एक जज का कार्यकाल बढ़ाने की सिफारिश इसलिए की गई थी क्योंकि डीएमके ने यूपीए से अपना समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी.
जस्टिस काटजू उस वक्त मद्रास हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस थे.
उनके आरोपों पर मचे बवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि उन्हें इस मामले पर कुछ नहीं कहना है. उनके सहयोगी रहे तत्कालीन कानून मंत्री एचआर भारद्वाज इस पर बयान दे चुके हैं. पत्रकारों ने जब इस बारे में मनमोहन सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि तत्कालीन कानून मंत्री एचआर भारद्वाज इस मामले पर पूरी बात सामने रख चुके हैं. मुझे अब इस पर कुछ नहीं कहना है.
भारद्वाज ने अपनी सफाई में कहा था कि कथित जज को किसी तरह का लाभ नहीं दिया गया था क्योंकि उनकी नियुक्ति सही प्रक्रिया के तहत हुई थी.
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