पद्मनाथ मंदिर संपत्ति के आडिट का आदेश

Last Updated 24 Apr 2014 09:37:46 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने वित्तीय अनियमित्ताओं के आरोपों से घिरे केरल के प्रसिद्ध श्रीपद्मनाथ स्वामी मंदिर की संपत्ति का पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की देखरेख में विशेष आडिट का आदेश दिया.


श्रीपद्मनाथ स्वामी मंदिर (फाइल फोटो)

इसके अलावा न्यायालय ने तिरूवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक नयी प्रशासनिक समिति का गठन भी किया है.

न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि अगले आदेश तक ‘मंदिर की कोई भी संपत्ति बेची नहीं जायेगी या किसी भी तरीके से उसका निष्पादन नहीं किया जायेगा’’ और यदि जिला न्यायाधीश हिन्दू समुदाय के अलावा किसी अन्य समुदाय का होगा तो जिले में हिन्दू आस्था वाले दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता करेंगे.

न्यायमूर्ति आर एम लोढा और न्यायमूर्ति ए के पटनायक की खंडपीठ ने कहा कि प्रशासनिक समिति के अन्य सदस्यों में मंदिर के ‘तंत्री’ इस समय सतीश नंबूदरीपाद होंगे और जिला न्यायाधीश दो अन्य सदस्यों का चयन करेंगे. इनमें से एक सदस्य का मनोनयन राज्य सरकार करेगी.

न्यायालय ने मंदिर के प्रबंधन के पुनर्गठन पर जोर देते हुये स्पष्ट किया कि मौजूदा ट्रस्टियों की देखरेख में मंदिर का कामकाज ठीक नहीं है.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘मौजूदा ट्रस्टी बुरी तरह असफल रहे हैं और उन्हें बदलना ही होगा. यदि हम उन्हीं व्यक्तियों को फिर मौका दें और फिर उन्हें मंदिर का कामकाज सौंपें तो भगवान ही मंदिर को बचायेगा.’’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘उन्हें व्यापक जनहित और मंदिर के हित को ध्यान में रखना है.’’

न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित करते हुये नौकरशाह सतीश कुमार को श्रीपद्मनाथ स्वामी मंदिर का कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया जो दैनिक कायरें की जिम्मेदारी देखेंगे. सतीश कुमार को त्रिशूर में गुरूवायुर मंदिर के प्रबंधन का अनुभव है.

न्यायालय ने कहा कि प्रशासनिक समिति द्वारा मंदिर का कामकाज अपने हाथ में लेने के बाद ट्रस्टी समिति द्वारा लिये गये किसी भी निर्णय की जिम्मेदारी से मुक्त होंगे.

न्यायालय ने कहा कि लेकिन ट्रस्टी उन मामलों के फैसलों के लिये जिम्मेदार होंगे जिनके बारे में वे समिति से सहमति देंगे. न्यायालय ने कहा कि महत्वपूर्ण मसलों पर समिति ट्रस्टी से परामर्श करेगी.

न्यायालय ने कहा कि पुजारियों और दूसरों के दैनिक इस्तेमाल के पात्र वाले स्थान के अलावा शेष सभी कमरों की चाबियां जिला न्यायाधीश को सौंपी जायें जो प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष के रूप में सीसीटीवी की निगरानी और दूसरे उपायों के जरिये मंदिर के चढ़ावे तथा दूसरी संपत्तियों के संरक्षण के लिये कदम उठायेंगे.

न्यायालय ने सप्ताह में एक दिन शनिवार को समिति के अध्यक्ष चढ़ावे के जरिये मिली राशि की गणना सुनिश्चित करेंगे. यही नहीं, मंदिर की सफाई और उसकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों के रहने के स्थानों में सुधार के लिये भी तत्काल कदम उठाये जायें. न्यायालय ने कहा कि किसी भरोसेमंद एजेन्सी से समयबद्ध तरीके से मंदिर की टंकियों की सफाई करायी जानी चाहिए.

न्यायालय ने चेतावनी दी कि राजघराने के परिवार का कोई भी सदस्य किसी कर्मचारी को डराये धमकायेगा नहीं.

इसके दूसरे पहलुओं पर अगले सप्ताह न्यायालय सुनवाई करेगा.

शीर्ष अदालत ने कल इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि कुछ बहुत परेशान करने वाले और बेहद गंभीर मसले हैं जिनका तत्काल समाधान जरूरी है. इस मामले में न्याय मित्र की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने न्यायालय को अपनी 15 अप्रैल की रिपोर्ट से अवगत कराया था जिसमें मंदिर के प्रबंधन और उसकी संपत्ति से संबंधित अनेक गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया गया था.

त्रावनकोर राजपरिवार के वंशजों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल ने सुब्रमणियम की रिपोर्ट पर कुछ आपत्तियां की थीं. इस पर न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार सहित सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा.
 



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