लालू को अब मंत्री बनना मुश्किल:प्रणव

Last Updated 21 Apr 2009 11:03:06 PM IST


समस्तीपुर। कांग्रेस और राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद के बीच जारी वाकयुद्ध आज उस समय और गहरा गया जब विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लालू के बारे में एक चुनावी सभा के दौरान यह बयान दे डाला कि लालू के लिए इस चुनाव के बाद मंत्री बनना भी मुश्किल होगा। समस्तीपुर में एक चुनावी सभा को आज संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा केन्द्र में कौन सरकार बनाएगा भाजपा राजग या तीसरे मोर्चा या लालू बनाएंगे सरकार लालू के लिए मंत्री बनना भी मुश्किल हो जायेगा क्योंकि वह किसी के साथ नहीं है। समस्तीपुर में आज होने वाली चुनावी सभा को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी संबोधित करने वाली थी लेकिन उनके नहीं आने पर मुखर्जी को यहां आना पडा। मुखर्जी का यह ब्यान लालू द्वारा आज सुबह दिए गये उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र में संप्रग की ही सरकार बनेगी लेकिन मनमोहन सिंह उसका नेतृत्व करेंगे यह निश्चित नहीं है के कुछ ही देर बाद आया है। लालू ने आज सुबह कहा था कि संप्रग केवल कांग्रेस नहीं बल्कि धर्मनिरपेक्ष दलों का एक समूह है और चुनाव के बाद हम लोग साथ बैठकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम तय करेंगे और सभी दलों से राय मश्विरा करके नेता का चयन करेंगे जो प्रधानमंत्री बनेगा। मनमोहन सिंह को संप्रग का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने वाली कांग्रेस ने लालू के इस ब्यान पर पलटवार करने के लिए प्रणव मुखर्जी को आज बिहार भेजा था। लालू और राजद-लोजपा के बीच दूरी उस समय बढनी शुरू हुई जब बिहार और झारखंड में कांग्रेस के साथ सीटों का समझौता नहीं होने के बाद राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद और लोजपा सुप्रीमों राम विलास पासवान ने दिल्ली में संयुक्त रूप से एक सवांददाता सम्मेलन आयोजित कर कांग्रेस के लिए बिहार में केवल उसकी जीती हुई तीन सीटों को छोडकर बाकी अन्य सीटों पर दोनों दलों द्वारा चुनाव लडने की घोषणा कर दी। लालू और पासवान के इस रवैये से खिन्न कांग्रेस ने शुरू में यह कहा था कि लालू और पासवान ने पांच साल तक संप्रग सरकार को चलाने में मदद की है इसलिए गठबंधन धर्म का पालन करते हुए कांग्रेस इन नेताओं के चुनाव क्षेत्र सारण पाटलिपुत्र और हाजीपुर से अपने उम्मीदवार नहीं खडा करेगी लेकिन बिहार की अन्य सभी 37 सीटों पर अपने उम्मीदवार खडा करेगी। कांग्रेस के इस निर्णय से नाराज राजद और लोजपा ने बाद में कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि चुनाव के समय वह अपना संगठन मजबूत करने के फिराक में लगी है। इसके बाद कांग्रेस ने बिहार के सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार खडा करने का एलान कर दिया। चुनाव का समय जैसे-जैसे बीतता गया कांग्रेस और राजद के बीच दूरियां और भी बढती गयी और इसी दौरान राजद और लोजपा ने मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के साथ चौथे मोर्चे का गठन कर आपसी तालमेल के साथ एक..दूसरे के उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार में जुट गए पर उनके द्वारा कांग्रेस पर छींटाकशी जारी रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बिहार यात्रा के दौरान गत 11 अप्रैल को जमुई में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए पहली बार अपने पुराने सहयोगी राजद लोजपा और समाजवादी पार्टी के चौथे मोर्चे पर हमला बोलते हुए कहा था कि इस तरह का गठबंधन केवल कुर्सी पाने के लिए किया गया है। सोनिया ने कहा था कि इस तरह के मोर्चे के पास सरकार चलाने की कोई दूर दृष्टि नहीं होती। उन्होंने कहा कि वे लोग कांग्रेस के साथ सत्ता का सुख भी भोगते हैं और उसकी निंदा भी करते हैं। चौथे मोर्च में लालू प्रसाद और राम विलास पासवान की प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी से क्षुब्ध सोनिया ने कहा कि ऐसे मोर्चे में जितनी संख्या दलों की होती है उतनी ही संख्या में उनमें प्रधानमंत्री के दावेदार भी होते हैं। उन्होंने कहा कि न तो देश इस प्रकार चल सकता है और न ही तरक्की कर सकता है। बिहार की वर्तमान राजग सरकार और पिछली राजद सरकार पर एक साथ हमला बोलते हुए सोनिया ने कहा था कि यह किसी से छिपा हुआ नही है कि दस से पन्द्रह वर्षो के बीच बिहार में क्या हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष की इस टिप्पणी से तिलमिलाए लालू ने गत 17 अप्रैल को दरभंगा के मनिगाछी में कांग्रेस को भी बाबरी मस्जिद विध्वंस का दोषी ठहरा डाला। लालू के इस ब्यान का लोजपा सुप्रीमों राम विलास पासवान ने भी सर्मथन किया जिसके बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा ने लालू को भागलपुर दंगे के दंगाईयों को सजा दिलाने के मामले में उनकी भूमिका की जांच की मांग करते हुए कांग्रेस आलाकमान से लालू और पासवान को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग की थी। गौरतलब है कि इन दंगों में करीब एक हजार लोगों की जान गयी थी। अनिल की इस मांग पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लालू ने कहा था कि वे केंद्र में मंत्री अपने जनाधार की बदौलत हैं न कि कांग्रेस के भरोसे। उन्होंने यह भी कहा कि सभी लोग जानते हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में ही भागलपुर दंगा हुआ था।



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