पाकिस्तान खतरे में:मुशर्रफ

Last Updated 19 Apr 2009 01:25:33 PM IST


इस्लामाबाद। पाकिस्तान पर मंडराते खतरे के प्रति आगाह करते हुए पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने आज कहा कि देश के नेतृत्व को सुरक्षा स्थिति के बारे में विश्व समुदाय की चिंताओं पर ध्यान देना चाहिए लेकिन किसी को भी कार्रवाई की खास दिशा के बारे में उपदेश नहीं देने चाहिए। सउदी अरब रिपीट सउदी अरब की यात्रा पर रवाना होने से पहले मुशर्रफ ने कहा देश खतरे में है तथा यदि हम मामूली और पुराने मुद्दों में उलझे रहे तो समस्याएं खड़ी हो जायेंगी। उन्होंने कहा मुद्दा काफी गंभीर है। दुनिया में हर कोई पाकिस्तान के मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। हर कोई कार्रवाई की दिशा तय करने का प्रयास कर रहा है। मुशर्रफ ने कहा पाकिस्तान को कार्रवाई की अपनी दिशा तय करनी चाहिए ताकि देश को मौजूदा समस्याओं से उबारा जा सके। उन्होंने कहा हमें इस बात पर स्पष्ट रहना चाहिए कि कोई हमें कार्रवाई की दिशा के बारे में उपदेश न दे। हमें कार्रवाई की अपनी दिशा तय करनी पड़ेगी और देश को बचाना होगा तथा इसे प्रगति की दिशा में आगे बढ़ाना होगा। यह पूछे जाने पर कि क्या तालिबान के साथ पश्चिमोत्तर स्वात घाटी में किये गये शांति समझौते से शांति आयेगी और आत्मघाती हमले बंद होंगे मुशर्रफ ने कहा कुछ नहीं कहा जा सकता। यदि समझौता पाकिस्तान के कानूनी ढांचे एवं तंत्र में शीघ्र एवं सस्ता न्याय सुनिश्चित कराने के मकसद से किया गया है तो यह ठीक है। मुशर्रफ ने कहा कहा लेकिन यदि यह ‘समझौता’ कमजोरी के रूख की वजह से किया गया है और यदि वे ‘तालिबान’ सरकार के अधिकार को चुनौती देना चाहते हैं तो समझौता खतरनाक है और इसे इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह मानते हैं कि सेना और प्रशासन इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं और सही कदम उठायेंगे। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हाल में एक विवादास्पद कानून को मंजूरी दी है जिसके तहत स्वात घाटी में शरिया या इस्लामिक कानून को लागू किया जायेगा। यह कदम करीब दो वर्ष पुराने तालिबान विद्रोह के दमन के लिए उठाया गया है। मुशर्रफ ने 2007 के अंत में तालिबान के सफाये के लिए स्वात में सैन्य अभियान शुरू किया था। मुशर्रफ ने कहा कि पाकिस्तान को मुहैया करायी जाने वाली वित्तीय मदद के लिए कोई शर्त नहीं लगायी जानी चाहिए। उन्होंने कहा हमें महज धन पाकर खुश नहीं होना चाहिए। इसमें हित जुड़े होते हैं और हम इसे मुफ्त में हासिल नहीं कर रहे है। पूर्व सैन्य शासक से जब यह पूछा गया कि क्या वह इस्लामाबाद की लाल मस्जिद में 2007 को हुए सैन्य अभियान की जांच के लिए किसी आयोग के समक्ष पेश होने को तैयार है तो वह अप्रसन्न हो गये। उन्होंने कहा अब झूठ खत्म कर देने चाहिए। लाल मस्जिद में महिलाओं और बच्चों के मारे जाने और सैकड़ों लोगों की जान जाने की बात करने वाले सफेद झूठ बोल रहे हैं। केवल 94 लोग मारे गये थे तथा वे सभी लोग आतंकवादी या कट्टरपंथी थे। एक भी महिला या बच्चा नहीं मारा गया। मुशर्रफ ने कहा कि वह अपनी सउदी अरब यात्रा के दौरान शाह अब्दुल्ला से मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि वह साक्षात्कार और व्याख्यान देने के लिए लंदन और प्राग भी जायेंगे।



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