कांग्रेस, भाजपा का खेल बिगाड़ने में लगी 'आप'
गुरदासपुर सीट पर पहले लोकसभा चुनावों से ही अधिकतर कांग्रेस ही काबिज रही है.
विनोद खन्ना भाजपा के प्रत्याशी (फाइल फोटो) |
इस बार पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और पूर्व सांसद व सिनेस्टार विनोद खन्ना आमने-सामने हैं. लेकिन आम आदमी के उम्मीदवार सुच्चा सिंह छोटेपुर के मैदान में आने से चुनावी गणित बदल गया है. यहां पर विनोद खन्ना लगातार तीन बार सांसद बनने का रिकार्ड बना चुके हैं. इस बार भाजपा के टिकट प्राप्ति के लिए विनोद खन्ना व मुबई के प्रसिद्ध उद्योगपति स्वर्ण सलारिया में चले घमासान की वजह से 15 दिन तक इसकी घोषणा नहीं हो पाई. कहा जाता है कि योगगुरु स्वामी रामदेव यह टिकट स्वर्ण सलारिया को दिलवाने हेतु प्रयासरत थे. परन्तु भाजपा हाईकमान व संघ परिवार विनोद खन्ना को टिकट देने के पक्ष में था.
सुच्चा सिंह छोटेपुर ऐसे उम्मीदवार हैं जो पार्टियां बदलने में माहिर समझे जाते हैं जो पहले अकाली दल में रहे व मंत्री रहे. फिर आजाद उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव भी जीते. फिर यह कांग्रेस में चले गए. वहां टिकट नहीं मिला तो इस बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. पेशे से किसान हैं.
विनोद खन्ना इस सीट से पांचवीं बार चुनाव मैदान में भाजपा के टिकट पर उतरे हैं. इसी तरह कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले वह विधानसभा के चुनाव लड़ते रहे. पंजाब सरकार में मंत्री भी रहे. इसके अतिरिक्त बहुजन समाज पार्टी के सुखविन्द्र सिंह घुमान, सीपीआई के वरिन्द्र, सीपीआईएम के गुरमीत सिंह, अमित अग्रवाल, जसबीर सिंह, मुकेश कुमार आदि आजाद प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं.
इन चुनावों में कांग्रेसी उम्मीदवार प्रताप सिंह बाजवा सबसे अमीर प्रत्याशी हैं. उनके पास 47824057 रुपए की चल व 13,51,00,000 की अचल संपत्ति है. सबसे गरीब उम्मीदवार सीपीआई के वरिन्दर हैं, जिनके पास सिर्फ एक लाख की सम्पत्ति है. उम्मीदवारों में सबसे पढ़े लिखे वरिन्दर ही हैं, जिन्होंने एलएलबी की हुई है. सबसे कम पढ़े लिखे जसबीर सिंह हैं जो मात्र दसवीं पास हैं. इन चुनावों में सभी पार्टियां लोकल व प्रदेश स्तर के मुददों को भुलाकर एक दूसरे पर लांछन लगाने में लगी हुई हैं. पंजाब में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, नशे की तस्करी व किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या का है.
इसके अतिरिक्त पंजाब में सबसे बड़ी इंडस्ट्री कोर उद्योग है जो कि सरकार की गलत नीतियों के कारण पतन के कगार पर पहुंच चुका है, उसकी ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा. इन चुनावों में हर किसी पार्टी अपने उम्मीदवार जिताने की होड़ लगी है, हर पार्टी वोटरों को भ्रमित कर वोट वटोरने में लगी है, इसके लिए चाहे उन्हें संत-महात्माओं का ही सहारा क्यों न लेना पड़े.
आजादी के बाद प्रथम लोकसभा के समय से ही यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है. जिसको तोड़ने का श्रेय संघ कार्यकर्ता रहे होशियारपुर के डा बनारसी दास शर्मा, जो इतिहास में डा. यज्ञदत्त शर्मा के नाम से प्रसिद्ध हैं, को जाता है. जिन्होंने 1977 में आपातकाल के बाद जनसंघ द्वारा बनाये भारतीय लोक दल के टिकट पर कांग्रेस के इस अभेदय दुर्ग को ध्वस्त किया था. जिसने इन चुनावों में मनमोहन सिंह की सरकार में कानून मंत्री रहे डा अश्विनी कुमार के पिता स्वर्गीय प्रबोध चन्द्र को हराया था.
यह एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र हैं जहां भारत के उच्चतम न्यायलय के वरिष्ठतम अधिवक्ता व पार्टी में अपनी पैठ रखने वाले प्राण नाथ लेखी भी अपना भागय आजमा चुके हैं. पंजाब के पुनर्गठन के बाद लोकसभा के इस चुनाव क्षेत्र ने कांग्रेस की नेता सुखबंस कौर भिंडर को पांच बार सांसद बनाया व केंद्रीय मंत्री होने का गौरव प्रदान किया. उनको 1998 में हराकर सिने अभिनेता विनोद खन्ना ने इस सीट पर कब्जा किया. तीन बार सांसद व वाजपेयी सरकार में राज्यमंत्री रहे विनोद खन्ना ने इस क्षेत्र के सबसे पुराने मुद्दे कथलौर पतन पुल तथा जिला होशियारपुर के जिला मुकेरिया के साथ लगते शाले पतन और सीमावर्ती क्षेत्र के वमियाल के उज्ज दरिया पर पुल बनवाकर लोगों की चिरलंबित मांगों को पूरा किया था, पर क्षेत्र के नवयुवकों के रोजगार की समस्या को कोई कारगार हल न दे सके. वहीं मौजूदा सांसद जो पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं, अपने कार्यकाल के दौरान लोकहित की कोई उपलब्धि अपने खाते में दर्ज न करवा सके.
आज यहां भाजपा भीतरघात से भयभीत है, वहीं कांग्रेस भी अपनों से परेशान है. हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने रूठों को मनाने में सफलता हासिल कर ली है. कांग्रेस से निकाले गए पुराने नेताओं को भी हाथ जोड़कर वापिस बुला लिया है. भाजपा के प्रत्याशी विनोद खन्ना को टिकट के घमासान में मात खाये स्वर्ण सलारिया विनोद खना के साथ चलने से खुले शब्दों में असमर्थता जाहिर कर चुके हैं. भाजपा की गुटबंदी विनोद खन्ना के रास्ते में स्पीड ब्रेकर न रही है.
यहां की जनता अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार से दुखी है. रणजीत सागर डैम के द्वितीय चरण का कार्य गठबंधन सरकार द्वारा प्राइवेट हाथों में देने से डैम कर्मचारी एवं उनके परिवार गठबंधन सरकार से बेहद खफा हैं. आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुच्चा सिंह छोटेपुर धारीवाला एवं बटाला क्षेत्र में गहरी पैठ रखते हैं तथा रिश्तेदारियां होने के बावजूद वोटर तक पहुंच नहीं बना पा रहे हैं. युवा मतदाता आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के विचारों से बहुत प्रभावित हैं. यदि युवा मतदाता आप के हक में मतदान करता है तो नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.
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