आतंकवाद के खिलाफ काफी कुछ किए जाने की जरुरत- भारत ने अमेरिका से कहा

Last Updated 30 Aug 2016 08:11:57 PM IST

भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद और रणनीतिक महत्व के अन्य मुद्दों के साथ-साथ वाणिज्यिक हितों पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद निरोध के क्षेत्र में काफी कुछ किए जाने की गुंजाइश है.


विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी
    
दूसरे भारत-अमेरिका रणनीतिक एवं वाणिज्यिक वार्ता (एसएंडसीडी) के दौरान दोनों पक्षों ने ऊर्जा और व्यापार और कारोबार के महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा की. इसकी सह अध्यक्षता विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ-साथ अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रित्जकर ने की.
     
सह अध्यक्षों के साथ उच्चस्तरीय इंटर-एजेंसी प्रतिनिधिमंडल भी था.
     
अपनी शुरूआती टिप्पणी में स्वराज ने आतंकवाद निरोध के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ‘‘काफी कुछ किए जाने की गुंजाइश है.’’
     
द्विपक्षीय मुद्दों के अलावा सुरक्षा स्थिति समेत महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर ठोस चर्चा हुई.
     
उन्होंने द्विपक्षीय वाणिज्यिक संबंधों को बढ़ाने के दौरान कंपनियों की आकांक्षाओं और हितों का खयाल रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया. 
     
अपनी तरफ से केरी ने गौर किया कि दोनों देशों ने रक्षा, ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में अपने सहयोग को प्रगाढ़ किया है.
     
उन्होंने कहा कि अमेरिका साइबर ढांचे को अंतिम रूप देने को उत्सुक है, जो दोनों देशों की नये वैश्विक साइबर खतरों से रक्षा में मदद करेगा.
     
उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका चाहेगा कि उसका भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग रिएक्टरों को स्थापित करने में साकार हो, जो भारतीय घरों में भरोसेमंद बिजली आपूर्ति करेगा.
     
वाणिज्यिक मोर्चे पर व्यापार करने को आसान बनाना और वीजा व्यवस्था समेत व्यापारिक संबंधों के अन्य पहलुओं पर चर्चा की गई.
     
दोनों देशों के बीच दो तरफा कारोबार पिछले साल तकरीबन 109 अरब डॉलर का था.
     
स्वराज ने कहा कि तेजी से उभरते क्षेत्रीय और वैश्विक हालात में भारत अफगानिस्तान के साथ त्रिपक्षीय बैठक, अफ्रीका पर विचार-विमर्श और बहुपक्षीय मुद्दों को इस साल के भीतर बहाल करने को उत्सुक है.
     
उन्होंने कहा कि भारत की बढ़ी हुई वैश्विक भूमिका पारस्परिक हित में है. उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका के साथ करीब से काम करना जारी रखने को उत्सुक हैं. 
    
उन्होंने रक्षा सहयोग को सह-उत्पादन और सह-विकास के अगले चरण में विस्तारित करने पर भी जोर दिया.
    
स्वराज ने कहा, ‘‘इसके लिए, हमें जून में प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान अमेरिका के ‘बड़े रक्षा भागीदार’ का भारत को दिये गए दर्जे से जुड़े लाभों को परिभाषित करने की आवश्यकता है. यह भारत और अमेरिका के बीच रक्षा उद्योग सहयोग को बढ़ावा देगा और क्षेत्र में सुरक्षा के सकल प्रदाता के रूप में वांछित भूमिका निभाने में भारत की मदद करेगा.’’
    
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्ष भारत-अमेरिका साइबर संबंध के लिए ढांचे को पूरा करने में सक्षम रहे हैं. यह भारत और अमेरिका दोनों के लिए किसी और देश के साथ अपनी तरह का पहला सहयोग है.
     
स्वराज ने एच 1 बी और एल 1 वीजा के लिए हाल में शुल्क में की गई वृद्धि और टोटलाइजेशन के मुद्दे के उचित और गैर-भेदभावपूर्ण समाधान की भी वकालत की, जिसने जनता के स्तर पर संपर्क को प्रभावित किया है. यह हमारे संबंधों के लिए शक्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है.
    
भारत के वार्ता को अधिक महत्व देने पर जोर देते हुए स्वराज ने कहा कि यह संवाद में व्यापक तालमेल और सामंजस्य को विकसित करता है.
    
पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि सरकार समझौते के हमारे अनुमोदन के लिए समय-सीमा को कम करने के लिए घरेलू स्तर पर कदम उठा रही है.
    
उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि अगली अमेरिकी सरकार पेरिस समझौते का उसी गंभीरता और उद्देश्य के साथ समर्थन करेगी जैसा आपने किया है और विकसित देशों से 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष जुटाने के लक्ष्य को अमेरिकी सरकार के दृढ़ समर्थन से पूरा किया जाएगा.’’
    
स्वराज ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की, जो जीवाश्म ईंधन से इतर नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने को हमारे लिए उपयुक्त बनायेगा और हमारी महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करेगा.
 
 



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