चीन ने एनएसजी में भारत की दावेदारी का किया विरोध, कहा एनपीटी पर हस्ताक्षर अनिवार्य

Last Updated 24 Jun 2016 05:43:43 PM IST

एनएसजी की बैठक में भारत की दावेदारी पर कोई फैसला नहीं हो पाया. बैठक खत्म होने के साथ ही भारत की तमाम कोशिशें नाकाम हो गईं.




NSG की बैठक खत्म

चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह एनएसजी में भारत की सदस्यता का जोरदार ढंग से विरोध जारी रखा जिससे 48 सदस्य देशों वाले इस समूह में भारत का प्रवेश फिलहाल बंद हो गया है. 

चीन के शस्त्र नियंत्रण विभाग के महानिदेशक वांग कुन ने संवाददाताओं को बताया कि एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले भारत जैसे देशों को एनएसजी की सदस्यता देने के मुद्दे पर कोई आम सहमति नहीं बनी.
 
उन्होंने कहा कि यदि कोई देश एनएसजी का सदस्य बनना चाहता है तो उसके लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर करना ‘अनिवार्य है’. यह नियम चीन ने नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बनाया है.
 
वान ने चेतावनी दी कि ‘‘यदि यहां या फिर एनपीटी के सवाल पर अपवादों को अनुमति दी जाती है तो अंतरराष्ट्रीय अप्रसार एकसाथ ढह जाएगा.’’ जब उनसे बीजिंग द्वारा भारत की सदस्यता की राह में रोड़े अटकाने की खबरों के बारे में पूछा गया तो चीन के प्रमुख वार्ताकार ने कहा कि एनएसजी अब तक एजेंडे में एनपीटी पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों की भागीदारी से जुड़े किसी भी मुद्दे पर सहमत नहीं हुआ है. इसलिए चीन द्वारा भारत की सदस्यता का समर्थन या विरोध करने का सवाल ही नहीं उठता.
 
चीन की ओर से शुक्रवार को एकबार फिर भारत-विरोधी रूख अपनाए जाने से यह साफ हो गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ताशकंद में उनसे की गई इन अपीलों को नहीं माना है कि बीजिंग को भारत की दावेदारी का समर्थन करना चाहिए.
 
भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगते हुए मोदी ने शी से अपील की थी कि वे सोल में चल रही बैठक में भारत के आवेदन का ‘निष्पक्ष और तथ्यपरक’ आकलन करें. दोनों नेताओं ने शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन के शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी.
 



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