मारा गया पेशावर स्कूल हमले का मास्टरमाइंड फजलुल्ला!
खबर है कि पेशावर स्कूल हमले का मास्टरमाइंड मुल्ला फजलुल्ला हवाई हमले में मारा गया है.
मुल्ला फजलुल्ला (फाइल) |
हालांकि इस खबर की अभी पुष्टि नहीं हुई है.
पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक फेसबुक पेज पर फजलुल्ला के मारे जाने की खबर दी गई है.
बताया जा रहा है कि फजलुल्ला को अफगानिस्तान में पाकिस्तानी एयरफोर्स के हवाई हमले में मार दिया गया है. इस ऑपरेशन में अफगानिस्तानी सेना की भी मदद ली गई.
PAF has bombed Fazlullah's hideouts in Afghanistan. Awaiting results. #PeshawarAttack
— Pakistan Defence (@defencepk) December 19, 2014
पेशावर हमले के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल राहील शरीफ काबुल गए, जहां उन्होंने तालिबान नेता मुल्ला फजलुल्ला के प्रत्यर्पण के संबंध में बात की.
फजलुल्ला के संगठन ने ही पेशावर के सैन्य स्कूल पर हुए घातक हमले की जिम्मेदारी ली है जिसमें 141 लोग मारे गए. मरने वालों में ज्यादातर स्कूली बच्चे हैं.
चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने इस यात्रा के दौरान तहरीक-ए-तालिबान नेता फजलुल्ला के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अफगानिस्तान के शीर्ष सैन्य और राजनीतिक नेताओं के अलावा इंटरनेशनल सिक्योरिटी एसिस्टेंस फोर्स (आईएसएएफ) के कमांडरों से भी मुलाकात की. फजलुल्ला ने अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों को अपना ठिकाना बना रखा था.
पाकिस्तान तालिबान कमांडर हकीमुल्ला की ड्रोन हमलों में हुई मौत के बाद मुल्ला फजलुल्ला उर्फ मुल्ला रेडियो को पाकिस्तान तालिबान का प्रमुख कमांडर चुना गया.
मुल्ला स्वात घाटी में शरिया लागू करने के दौरान बहुत से लोगों की क्रूर हत्याएं कर चुका है और मलाला की मौत का फरमान भी इसी ने जारी किया था.
यही नहीं, हकीमुल्ला महसूद के उलट फजलुल्ला पाकिस्तान सरकार के साथ बातचीत नहीं चाहता था क्योंकि वह मानता था कि पाकिस्तान सरकार भी ड्रोन हमले के लिए दोषी है.
मुल्ला फजलुल्ला अथवा मुल्ला रेडियो, मूलत: तहरीक-ए-नफज-ए-शरीयत-ए-मोहम्मदी (टीएनएसएम) का नेता था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में शरिया कानून को लागू कराना है. सामान्य तौर पर यह संगठन अक्टूबर 2005 तक शिथिलता का शिकार बना रहा लेकिन इसी समय स्वात घाटी में आए भूकंप ने मुल्ला के लिए शक्ति प्राप्त करने का एक बेहतरीन अवसर उपलब्ध करा दिया. स्वात घाटी में आए भूकंप के बाद उत्पन्न अराजकता और भुखमरी ने फजलुल्ला के लिए बड़े पैमाने पर नए कैडर उपलब्ध कराए जिनकी भर्ती कर उसने स्वात घाटी में अपने प्रभाव के विस्तार का कार्य आरंभ किया.
2007 में लाल मस्जिद पर पाकिस्तानी फौज की कार्रवाई ने उसे ताकत ग्रहण करने का दोबारा मौका दिया. और फजलुल्ला की आर्मी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के बैतुल्ला महसूद के बीच एक गठबंधन स्थापित हुआ जिससे न केवल बैतुल्ला महसूद की ताकत बढ़ी, बल्कि फजलुल्ला की ताकत भी बढ़ गई.
मई से सितम्बर 2007 के दौरान स्वात में अस्थायी युद्धविराम ने उसे एक और अवसर प्रदान कर दिया, क्योंकि इस अवधि का प्रयोग उसने स्वात घाटी में अपनी राजनीतिक ताकत के निर्माण और उसे स्थायित्व देने के लिए किया.
अक्टूबर 2007 के बाद फजलुल्ला ने लगभग 4500 आतंकियों की मदद से स्वात घाटी के 59 गांवों में शरिया कानून लागू करने के लिए इस्लामी अदालतों की स्थापना कर एक तरह से अपनी 'समांतर सरकार' कायम कर ली.
फजलुल्ला पाकिस्तान तालिबान का पहला प्रमुख था जिसका संबंध दक्षिणी वजीरिस्तान के महसूद कबीले से नहीं था.
इसका संबंध स्वात घाटी से था और इसी कारण से महसूद कबीले के कुछ लोग फजलुल्लाह के नाम से खुश नहीं थे. लेकिन वरिष्ठ सदस्यों के दबाव में उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया. फजलुल्ला के अफगानिस्तान तालिबान के साथ भी बेहतर रिश्ते थे.
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