भारत ने किया आतंकवाद के खिलाफ साफ रूख का आह्वान
भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर कहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दहशतगर्दी के खिलाफ साफ और दृढ़ रूख अपनाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र (फाइल) |
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन में प्रथम सचिव मयंक जोशी ने ‘मानवाधिकार प्रोत्साहन और संरक्षण’ विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में कहा कि आतंकवाद भय के जरिए स्वतंत्रता के सिद्धांत को चुनौती देता है और यह मानवाधिकारों के पूर्ण उपयोग के लिए बड़े खतरों में से एक है. लोकतंत्र, मानव गरिमा, मानवाधिकार और विकास पर आतंकवाद एक हमला है.
जोशी ने हालांकि कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने और मानवाधिकार प्रोत्साहन के बीच संबंध की समझ को लेकर दुर्भाग्य से संदेह और गलतफहमी है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ आतंकवाद से अनिवार्य ढंग से निपटने और दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार मानकों का पूरी तरह से पालन करने के बीच संतुलन बिठाना एक चुनौती है.
जोशी ने जोर देकर कहा कि मानवाधिकारों, मौलिक स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर चोट करने तथा क्षेत्रीय अखंडता एवं देशों की सुरक्षा और वैध तरीके से गठित सरकारों को अस्थिर करने पर केंद्रित आतंकवाद को नियंत्रित करने और रोकने में सहयोग को मजबूत करने के क्रम में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दहशतगर्दी के खिलाफ स्पष्ट और दृढ़ रूख अपनाना चाहिए.
भारतीय राजनयिक ने कहा कि मानवाधिकार प्रोत्साहन एवं संरक्षण का प्राथमिक दायित्व देशों का है.
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि हम संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.
जोशी ने रेखांकित किया कि किसी मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार बाहरी हस्तक्षेप की बजाय किसी भी देश और इसके नागरिकों की कार्रवाइयों से ज्यादा संभव है.
उन्होंने कहा कि यह भारत का सुविचारित रूख है कि कानून का पालन करने वाले सभी नागरिक मानवाधिकार रक्षक हैं, और भारत के सभी नागरिक कानून के लिए समान हैं तथा हमारे संविधान के अनुरूप उन सभी को कानून का समान संरक्षण प्राप्त है.
जोशी ने जोर देकर कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्टों की सिफारिशों से सहमत है कि राष्ट्रों को सभी नागरिकों के लिए समानता के सिद्धांत सुनिश्चित करने तथा असहिष्णुता, भेदभाव और धर्म या आस्था के आधार पर हिंसा से निपटने के लिए लगातार कदम उठाने की आवश्यकता है.
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