सुख-दुख
दुख ही दुख अगर पाया है तो बड़ी मेहनत की होगी पाने के लिए, बड़ा श्रम किया होगा, बड़ी साधना की होगी, तपस्या की होगी!
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
अगर दुख-ही-दुख पाया है तो बड़ी कुशलता अर्जित की होगी! दुख कुछ ऐसे नहीं मिलता, मुफ्त नहीं मिलता. दुख के लिए कीमत चुकानी पड़ती है. आनंद तो यों ही मिलता है; मुफ्त मिलता है; क्योंकि आनंद स्वभाव है. दुख अर्जित करना पड़ता है. और दुख अर्जित करने का पहला नियम क्या है? सुख मांगो और दुख मिलेगा. सफलता मांगो, विफलता मिलेगी. सम्मान मांगो, अपमान मिलेगा.
तुम जो मांगोगे उससे विपरीत मिलेगा. तुम जो चाहोगे उससे विपरीत घटित होगा, क्योंकि यह संसार तुम्हारी चाह के अनुसार नहीं चलता. यह चलता है उस परमात्मा की मर्जी से. अपनी मर्जी को हटाओ!
अपने को हटाओ! उसकी मर्जी पूरी होने दो. फिर दुख भी अगर हो तो दुख मालूम नहीं होगा. जिसने सब कुछ उस पर छोड़ दिया, अगर दुख भी हो तो वह समझेगा कि जरूर उसके इरादे नेक होंगे.
उसके इरादे बद तो हो ही नहीं सकते. जरूर इसके पीछे भी कोई राज होगा, जिसने सब परमात्मा पर छोड़ा, उसके लिए दुख भी सुख हो जाते हैं. और जिसने सब अपने हाथ में रखा, उसके लिए सुख भी दुख हो जाते हैं. जिसे तुम जीवन समझ रहे हो, वह जीवन नहीं है, टुकड़े-टुकड़े मौत है. जन्म के बाद तुमने मरने के सिवाय और किया ही क्या है? रोज-रोज मर रहे हो.
और जिम्मेवार कौन है? अस्तित्व ने जीवन दिया है, मृत्यु हमारा आविष्कार है. अस्तित्व ने आनंद दिया है, दुख हमारी खोज है. प्रत्येक बच्चा आनंद लेकर पैदा होता है; और बहुत कम बूढ़े हैं, जो आनंद लेकर विदा होते हैं. जो विदा होते हैं, उन्हीं को हम बुद्ध कहते हैं. सभी यहां आनंद लेकर जन्मते हैं; आश्चर्यविमुग्ध आंखें लेकर जन्मते हैं; आह्लाद से भरा हुआ हृदय लेकर जन्मते हैं. हर बच्चे की आंख में झांक कर देखो, नहीं दिखती तुम्हें निर्मल गहराई? और हर बच्चे के चेहरे पर देखो, नहीं दिखता तुम्हें आनंद का आलोक? और फिर क्या हो जाता है?
क्या हो जाता है? फूल की तरह जो जन्मते हैं, वे कांटे क्यों हो जाते हैं? जरूर कहीं हमारे जीवन की पूरी शिक्षण की व्यवस्था भ्रांत है. हमारा पूरा संस्कार गलत है. हमारा पूरा समाज रु ग्ण है. हमें गलत सिखाया जा रहा है. हमें सुख पाने के लिए दौड़ सिखाई जा रही है. दौड़ो! ज्यादा धन होगा तो ज्यादा सुख होगा. ज्यादा बड़ा पद होगा तो ज्यादा सुख होगा. गलत हैं ये बातें. न धन से सुख होता है, न पद से सुख होता है.
Tweet![]() |