चिंतन

Last Updated 30 Jun 2016 04:30:57 AM IST

इन दिनों जिधर भी दृष्टि डालें, चर्चा परिस्थितियों की विपन्नता पर होती सुनी जाती है. कुछ तो मानवीय स्वभाव ही ऐसा है कि वह आशंकाओं, विभीषिकाओं को बढ़-चढ़कर कहने में सहज रूचि रखता है.




श्रीराम शर्मा आचार्य (फाइल फोटो)

कुछ सही अर्थों में वास्तविकता भी है, जो मानव जाति का भविष्य निराशा एवं अंधकार से भरा दिखाती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में असाधारण प्रगति कर दिखाई है. बीसवीं सदी के ही विगत दो दशकों में इतनी तेजी से परिवर्तन आए हैं कि दुनिया की कायापलट हो गई सी लगती है.

सुख साधन बढ़े हैं, साथ ही तनाव-उद्विग्नता मानिसक संक्षोभ-विक्षोभों में भी बढ़ोतरी हुई है. व्यक्ति अंदर से अशांत है. ऐसा लगता है कि भौतिक सुख की मृगतृष्णा में वह इतना भटक गया है कि उसे उचित-अनुचित, उपयोगी-अनुपयोगी का कुछ ज्ञान नहीं रहा. वह न सोचने योग्य सोचता व न करने योग्य करता चला जा रहा है. फलत: संकटों के घटाटोप चुनौती बनकर उसके समक्ष आ खड़े हुए हैं.

हर व्यक्ति इतनी तेजी से आए परिवर्तन व विश्व मानवता के भविष्य के प्रति चिंतित है. प्रसिद्ध चिंतक भविष्य विज्ञानी एल्विन टॉफलर अपनी पुस्तक \'फ्यूचर शॉक\' में लिखते हैं कि \'यह एक तरह से अच्छा है कि गलती मनुष्य ने ही की, आपत्तियों को उसी ने बुलाया एवं वही इसका समाधान ढूंढ़ने पर भी अब उतारू हो रहा है.

 \'टाइम\' जैसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका प्रतिवर्ष किसी विशिष्ट व्यक्ति को \'मैन ऑफ द इयर\' चुनती है. सन 88 के लिए उस पत्रिका ने किसी को \'मैन आफ द इयर\' न चुनकर, पृथ्वी, को \'प्लनेट ऑफ द इयर\' घोषित किया. जिसमें पृथ्वी को \'एन्डेंर्जड अर्थ\' अर्थात प्रदूषण के कारण संकटों से घिरी हुई दर्शाया गया.

यह घोषणा इस दिशा में मनीषियों के चिंतन प्रवाह के गतिशील होने का हमें आभास देती है. क्या हम विनाश की ओर बढ़ रहे हैं? यह प्रश्न सभी के मन में बिजली की तरह कौंध रहा है. अभी भी देर नहीं हुई, यदि मनुष्य अपने चिंतन की धारा को सही दिशा में मोड़ दे, तो वह आसन्न विभीषिका के घटाटोपों से संभावित खतरों को टाल सकता है.

क्रांतिकारी मनीषी चिंतक महर्षि अरविंद जैसे मूर्धन्यगण कहते हैं कि यद्यपि यह बेला संकटों से भरी है, विनाश समीप खड़ा दिखाई देता है, तथापि दुर्बुद्धि पर अंतत: सदबुद्धि की ही विजय होगी एवं पृथ्वी पर सतयुगी व्यवस्था आएगी.

 

श्रीराम शर्मा आचार्य


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