नवरात्र: नवमी और दशमी एक ही दिन

Last Updated 17 Sep 2014 05:16:41 PM IST

शारदीय नवरात्र मां दुर्गा की आराधना और उपासना का पर्व है. यह आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (एक्कम) 25 सितम्बर को पड़ रहा है.


मां दुर्गा

ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस दिन 12-26 तक रहने से आश्विन शुक्ल दशमी (विजयदशमी) के क्षय से इस बार नवरात्र में महाअष्टमी का व्रत और महानवमी का व्रत एक दिन माना जाएगा. दो अक्टूबर को अष्टमी दिन 8.30 तक ही है. उसके बाद नवमीं तिथि लग जा रही है जो तीन अक्टूबर प्रात: 6.24 तक है.

अत: नवरात्र में प्रतिपदा से नवमी तक पूरी तिथियां पूर्ण हैं. इस कारण नवरात्र 9 दिनों का माना जाएगा. महाअष्टमी व्रत का पारण 3 अक्टूबर को प्रात:6.24 से पहले किया जाएगा.

नवमीं का पारण दशमी अर्थात प्रात: 6.24 के बाद होगी. घरों में होम इत्यादि तीन अक्टूबर को प्रात: 6.24 से पहले करनी चाहिए, क्यों कि इसके बाद दशमी लग जाएगी.



दिनों के अनुसार देवी का आगमन

रविवार और सोमवार: गज (हाथी) पर आगमन से सुख-सम्पदा में वृद्धि एवं धन-धान्य की परिपूर्णता.

मंगलवार और शनिवार: अश्व (घोड़े) पर आगमन से हर तरफ संकट.

बुधवार: नौका पर आगमन से सर्व कल्याण, वर्ष की अधिकता एवं बाढ़.

बृहस्पतिवार और शुक्रवार: डोली पर आगमन से विपत्ति, अधिक कष्ट, अन्न और धन हानि.

देवी का गमन: रविवार और सोमवार : महिष (भैंस) पर गमन से रोग-शोक और महामारी फैलना.

मंगलवार और शनिवार: मुर्गा पर गमन से व्यग्रता और व्याकुलता, हर तरह से कष्ट.

बुधवार और शुक्रवार : गज (हाथी) पर गमन से अधिक वर्षा और बाढ़.

बृहस्पतिवार: भक्तों के कांधे और डोली पर गमन से अत्यंत लाभकारी. चारों तरफ सुख ही सुख एवं सभी की कामनाएं पूर्ण करती हैं.






 
 



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