PICS: जहर खाने के बाद जागी जीने की इच्छा

PICS:मरने की चाहत में डॉक्टर ने बनाया अनोखा जहर, लेकिन खाने के बाद जागी जीने की इच्छा

दूसरी चुनौती थी प्रोपानोल की विषाक्तता को कम करना. इसे ग्लूकागॉन देकर नियंत्रित किया गया. मरीज पर इस प्रक्रिया का अच्छा असर हुआ और उसकी हृदयगति बढ़ने लगी. वहीं तीसरी चुनौती थी रक्त में शर्करा की कम मात्रा जो बहुत ज्यादा इनसूलीन लेने के कारण कम हो गयी थी. इसके लिए भी मरीज को ग्लूकागॉन ही दिया गया. डॉक्टर रे ने बताया कि मरीज को इंट्रानर्वस तरीके से ग्लूकोज के डोज दिए गए. 68 घंटे के भीतर मरीज को 1,115 ग्राम आईवी ग्लूकोज दिया गया. तमाम दवाओं के कारण शरीर के खून में जमा हुए विषैले पदार्थों को निकालने के छह दिन बाद अस्पताल में मनोचिकित्सक की सलाह ली और डॉक्टर को छुट्टी दे दी. वर्तमान में वह युवा डॉक्टर अपनी मानसिक परेशानियों से बाहर निकल आया है और अपने पेशे में अच्छा कर रहा है. इस पूरे केस के बारे में 'इंडियन जर्नल ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन' के मार्च संस्करण में प्रकाशित किया गया है.

 
 
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