16वीं शताब्दी से नहीं जली होलिका

 16वीं शताब्दी से नहीं जली होलिका

कुंवारी कन्या के सती होने के बाद उसके सभी भाई गांव से भाग गए. तब से गांव वाले सती को पूजने लगे. गांव में उसकी प्रतिमा स्थापित कर छोटा-सा मंदिर बनाया गया है. गांव का नाम भी इसी के चलते तेलीनसत्ती पड़ा और यह गांव की इष्टदेवी हैं.

 
 
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