जहां गुड़िया को जला देते हैं

Pics: जहां अपनी प्यारी गुड़िया को इंद्र देवता को मनाने के लिेए जलाते हैं लोग

राजस्थान के हनुमानगढ़ घर के आंगन में पड़ा गुड्डी यानी गुड़िया का शव, अपनी लाडली के जाने के गम में मां का रो-रो कर बुरा हाल, विलाप करती गुड्डी की सहेलियां और घर के पुरुष व अन्य महिलाएं गुड्डी का शव को अंत्येष्टि के लिए ले जाने की तैयारी में... इस गमगीन माहौल में छाए अजीब से सन्नाटे को तोड़ रही थी रह-रह कर फूट रही बच्चों की हंसी और जब बच्चों की खिलखलाहट में बड़ों ने अपना सुर मिल दिया तो माहौल हंसी-ठहाकों में बदल गया. ये नजारा किसी नाटक या फिल्म का नहीं है जिसमें मरने के बाद कोई फिर से जीवित हो उठता हो.... ये दृश्य एक राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की पारम्परिक रस्म का है जिसे निभा कर इंद्र देवता को खुश किया जाता है ताकि उनके क्षेत्र में बारिश हो,जिससे फसलों को भरपूर पानी मिले और लोगों को गर्मी से राहत. इस परम्परा को गुड्डी बालना यानी गुड़िया (खिलौना)जलाना कहते हैं. खुशहाली के लिए प्राचीन परम्परा का सहारा बेटियों के खिलौने जलाने का यह अनोखा रिवाज कन्या भ्रूणहत्या के खिलाफ संदेश भी देता है. इस मौसम में बारिश न होने पर ऐसा दृश्य जिले के सिख बहुल हर कस्बे- गांव में देखने को मिलता है. इस सप्ताह जिले के नोहर कस्बे की सरदारों की ढाणी में इस परम्परा को पूरी रीति रिवाज से निभाया गया. कस्बे के लोग लंबे समय से गर्मी व पानी की मार झेल रहे हैं और पानी की कमी के चलते उनकी फसलों को भी नुकसान हो रहा जिसके चलते ग्रामीणों ने इंद्र देवता को मनाने व खुश के लिए प्रचीन परम्परा का सहारा लिया है.

 
 
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