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- जहां गुड़िया को जला देते हैं
....परम्परा व रस्म के अनुसार गांव की महिलाएं व युवतियां एकत्रित हो कर एक कपडे़ की गुड्डी (खिलौना ) बनाती है और गांव की ही किसी एक महिला को उस गुड्डी की काल्पनिक मां व अन्य लोगों को गुड्डी का रिश्तेदार बनाया जाता है. फिर घर के आंगन में शव के चारों और बैठ घर के लोग विलाप करते हैं. अन्य महिलाएं गुड्डी की मां को ढाढ़स बधांती हैं कि मत रो गुड्डी की मां... गुड्डी तो हम सब के लिए कुर्बानी दे गई लेकिन अब गुड्डी की इच्छा जरूर पूरी तो होगी... बारिश होगी...गुड्डी के भाई के खेतों में फसल अच्छी होगी... इस लिए तू मत रो.
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