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- 16वीं शताब्दी से नहीं जली होलिका

पुसावड़ के बुजुर्ग ताजीराम चिराम (54) ने बताया कि करीब सौ साल पहले होलिका दहन के दिन गांव के लड़के ने किसान की बैलगाड़ी में आग लगा दी. इससे किसान की रोजी-रोटी छिन गई. किसान शांत रहा लेकिन अगले साल होलिका में उसने उस लड़के को ही जलाने की कोशिश की. गांव में तनाव था. उसके बाद गांववालों ने होलिका नहीं जलाने का फैसला लिया. इसी तरह रायगढ़ जिले का हट्टापाली ग्राम पंचायत के पांच गांवों में 150 साल से ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं. यह पंचायत रायगढ़ से 80 किमी दूर है. गांववालों का मानना है कि होली खेलने से उनके देवता नाराज हो जाते हैं. इससे गांव में सूखा सहित कई प्राकृतिक विपदाएं आ पड़ती हैं.
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