16वीं शताब्दी से नहीं जली होलिका

 16वीं शताब्दी से नहीं जली होलिका

सौ साल पहले होलिका दहन के दौरान हुए हादसे से सबक लेते हुए गांव के बुजुर्गों ने होलिका दहन नहीं करने का निर्णय लिया था. बताया जाता है कि यहां होली खेलने के लिए कुछ विशेष नियम बनाए गए हैं. इन नियमों का पालन सभी कर रहे हैं. सरपंच बनवाली राम, चिराम, ग्रामीण चुन्नी लाल व अन्य ने बताया कि गांव के बुजुर्गों ने जो कारण और तर्क दिए, उसके बाद से बाद अभी तक वे उन नियमों का पालन कर रहे हैं.

 
 
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