मंगलमूर्ति के स्वागत में जुटा हर कोई

 सबकुछ भूल मंगलमूर्ति के स्वागत में जुटा हर कोई

इतिहास के सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो. यू जी गुप्ता ने बताया ‘सन 1893 में तिलक ने ब्राह्मणों और गैर ब्राह्मणों के बीच की दूरी खत्म करने के लिए ऐलान किया कि गणेश भगवान सभी के देवता हैं. इसी उद्देश्य से उन्होंने गणेशोत्सव के सार्वजनिक आयोजन किए और देखते ही देखते महाराष्ट्र में हुई यह शुरूआत देश भर में फैल गई. यह प्रयास एकता की एक मिसाल साबित हुआ.’

 
 
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