यूं मनाया जाता है दुनिया में नववर्ष

 नया साल मनाने का अलग-अलग अंदाज

गिरजाघरों में 31 दिसम्बर की रात 11 बजे से ही धीमे-धीमे स्वर में शोकाकुल घंटियां बजने लगती हैं, जो लोगों को बीते वर्ष में बिछड़े लोगों की याद दिलाती हैं. ठीक बारह बजते ही गिरजाघरों की घंटियां तेज स्वर में बजने लगती हैं, जो लोगों में नववर्ष के प्रति उत्साह भरती है. इसके बाद आतिशबाजी का लुत्फ लेकर लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाइयां देते हैं.

 
 
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