दम तोड़ रही सहरी जगाने की परम्परा

Photos: सिमटती जा रही है सहरी जगाने की परम्परा

मौलाना उमेर के अनुसार फेरीवाले लोग मजहबी लिहाज से खुशी और सवाब के लिये भी यह काम करते थे. फेरी एक समाजी बंधन भी था. फेरी के जरिये न सिर्फ लोगों को जगाने का काम किया जाता था बल्कि इसके जरिये लोग एक-दूसरे की खैर खबर भी रखते थे.

 
 
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