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- यहां अफीम शौक या लत नहीं परंपरा

मारवाड़ अंचल में विशेष अवसरों पर एक-दूसरे को अफीम देने की प्रथा सदियों से विद्यमान रही है. अक्षय तृतीया को सभी ग्रामवासी जागीरदार के दरीखाने में अफीम सेवन के लिए एकत्रित होते थे. इस सभा को रेयाण कहते हैं. जागीरदार उस दिन अपने हाथ से प्रत्येक ग्रामवासी को अफीम का विशेष घोल सम्मान के साथ पिलाते थे.
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