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- जानिए, क्यों मनाई जाती है अनंत चतुर्दशी

पश्चाताप करते हुए ऋषि कौंडिन्य अनंत डोरे की प्राप्ति के लिए वन में चले गए. वन में कई दिनों तक भटकते-भटकते निराश होकर एक दिन भूमि पर गिर पड़े. तब अनंत भगवान प्रकट होकर बोले- 'हे कौंडिन्य! तुमने मेरा तिरस्कार किया था, उसी से तुम्हें इतना कष्ट भोगना पड़ा. तुम दुखी हुए. अब तुमने पश्चाताप किया है. मैं तुमसे प्रसन्न हूं. अब तुम घर जाकर विधिपूर्वक अनंत व्रत करो. चौदह वर्षपर्यंत व्रत करने से तुम्हारा दुख दूर हो जाएगा. तुम धन-धान्य से संपन्न हो जाओगे. कौंडिन्य ने वैसा ही किया और उन्हें सारे क्लेशों से मुक्ति मिल गई.'
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