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- इस मंदिर में हर दिन पहले पूजा करता है अश्वत्थामा
इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र शर्मा का कहना है कि इतिहास में कोई भी घटना तब तक प्रामाणिक नहीं मानी जा सकती जब तक कि उसके पक्ष में पुरातात्विक, साहित्यिक तथा ऐतिहासिक साक्ष्य उपलब्ध न हो जाएं. उन्होंने कहा कि यद्यपि महाभारत ऐतिहासिक ग्रन्थ है लेकिन उसके पात्र अश्वत्थामा के इटावा में काली मंदिर में आकर पूजा करने का कोई प्रत्यक्ष ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है.
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