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- हरतालिका तीज व्रत, कथा और पूजा विधि

सर्वपंथम 'उमामहेश्वरायसायुज्य सिद्धये हरतालिका व्रतमहं करिष्ये' मन्त्र का संकल्प करके भवन को मंडल आदि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्रित करें. हरतिालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. प्रदोष काल अर्थात दिन-रात्रि मिलने का समय. संध्या के समय स्नान करके शुद्ध व उज्ज्वला वस्त्र धारण करें. तत्पश्चात पार्वती तथा शिव की मिट्टी से प्रतिमा बनाकर विधिवत पूजन करें. तत्पश्चात सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी सामग्री सजा कर रखें, फिर इन सभी वस्तुओं को पार्वती जी को अर्पित करें. शिव जी को धोती तथा अंगोछा अर्पित करें और तत्पश्चात सुहाग सामग्री किसी ब्राहम्णी को तथा धोती-अंगोछा ब्राहम्ण को दान करें. इस प्रकार पार्वती तथा शिव का पूजन कर हरितालिका व्रत कथा सुनें.
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