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- Photos: ब्रज में उड़त गुलाल रसिया...

चांदनी रात में सैकड़ों दीपों से जगमगाता 40-50 किलो वजनी चरकुला सिर पर रखकर जब नृत्यांगना होली के रसिया गीतों पर ताल के साथ नृत्य करती हैं तो दर्शक मंत्र-मुग्ध हुए बिना नहीं रहता. 'बम्ब' कहे जाने वाले बड़े नगाड़े की ताल पर अलगोजा, थाली, करताल और मंजीरे के मधुर स्वरों के साथ होने वाले इस नृत्य की समाप्ति पर नृत्यांगना को युग-युग तक जीवित रहने का आशीर्वाद दिया जाता है. वसंत पंचमी से चैत्र कृष्ण पक्ष की नवमी तक गीत, संगीत, नृत्य, भक्ति और अध्यात्म के रस बिखेरती 50 दिनों तक चलने वाली ब्रज होली के रंग में भीगे ब्रजवासियों का मन तृप्त नहीं हो पाता है. उनकी कामना रहती है- चिरजीवी रहै ब्रज की रंग होरी.
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