मधुमेह रोगियों के जीवन में मिठास लाती है स्
Last Updated 05 Feb 2009 11:28:30 AM IST
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मधुमेह का रोगी होना जैसे एक सजा या अभिशाप सा प्रतीत होता है। मानो जैसे जिन्दगी से मिठास रूठ कर ही चली गयी हो। हम उसे चख नहीं सकते, कोई मीठा पकवान नहीं खा सकते, बस उन दिनों को याद करके अपनी मीठी यादों को ताजा किया करते हैं जब हम शक्कर युक्त चीजों का भरपूर स्वाद लिया करते थे। लेकिन अब तो उनका स्वाद लेना यानी जानबूझ कर अपने जीवन को खतरे में डालना है। लेकिन मधुमेह रोगी के जीवन में मिठास घोलने के लिए बाजार में लो कैलोरीज और न जाने कितनी ही शुगर रहित टैबलेट्स उपलब्ध हैं। लेकिन उनमें वो बात कहां और तो और इनके महंगे होने के कारण इन मिठास को हर किसी के लिए पा पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। तो क्या करें, इसके लिये आयुर्वेद में एक आसान व कारगर सरल तरीका है। स्टीविया एक ऐसा पौधा है जो मधुमेह रोगी के लिए वरदान है। इसकी पत्तियों में शक्कर से 30 गुना अधिक मिठास होती है। बायोलॉजिकल स्वीटनर होने की वजह से यह आपके ब्लड शुगर लेवल (रक्त मिश्रित शक्कर का स्तर) को बढ़ाता नहीं बल्कि उसे व्यवस्थित रखता है। स्टीविया रेबॉडियाना को हम स्वीट लीफ व शुगर लीफ के नाम से भी जानते हैं। यह एक बारहमासी पौधा है जिसकी लंबाई लगभग 60 से 70 से.मी. होने के कारण हम इसे आसानी से क्यारियों व बड़े गमलों में लगा सकते हैं। यह लगभग 11 से 41 डिग्री सेल्सियस के तापमान में उगता है। हमारी शुगर रहित गोलियों में कैमिकल स्वीटनर जैसे एसपरटीन व सैकरिन आदि तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन स्टीविया के बायोलॉजिकल स्वीटनर होने से इसकी मीठी पत्तियों के लिए रोपा जाता है। मिठास के अलावा यह एक पोषक तत्वों से भरपूर पौधा भी है जिसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, मायोसीन, राइबोफ्लेविन, जिंक, क्रोमियम, कैल्शियम और फॉस्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
स्टीविया हमारे ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है। इसमें कैलोरी न होने की वजह से यह मोटापे को भी घटाता है। उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) को भी नियंत्रित रखता है। इसे कैंसर की बीमारियों में दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।
सबसे खास बात, शक्कर से 30 गुना अधिक मीठा होने के बावजूद इसमें पाए जाने वाले स्टीवियोसाइड और रिबॉडियोसाइड हमारे दांतों को सड़ने से बचाता है। इसे टूथपेस्ट और माउथवॉशों में भी इस्तेमाल किया जाता है। स्टीविया की पत्तियों से तैयार किया गया फेस मास्क चेहरों की झुर्रियों को कम करता है और साथ ही साथ यह त्वचा रोगों में भी फायदेमंद है।
किरन अनेजा (एच.ओ.डी. बायोलॉज, एच.ए.एल.स्कूल) ने जैसा आलोक मिश्रा से कहा (लेखक : एमिटी के पत्रकारिता विभाग के छात्र हैं)
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