बाल न्याय बोर्ड बनाने में कई राज्य नाकाम
Last Updated 02 Mar 2009 08:30:22 PM IST
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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के बाल न्याय बोर्ड बनाने और हर जिले में निगरानी गृह स्थापित करने के निर्देश के दो साल के बाद भी कई राज्यों में अभी इस आदेश का अनुपालन करना बाकी है।
शीर्ष न्यायालय ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं करने वाली राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत तौर पर मामले को देखने और दो महीने के भीतर इस पर प्रतिक्रिया देने को कहा है।
पिछले साल जुलाई में इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी प्रकट करने वाली प्रधान न्यायाधीश के जी बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया गया कि बाल न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति बनाने के लिए विशिष्ट कानून के बावजूद कई राज्यों में स्थिति असंतोषजनक बनी हुई है।
संपूर्ण बहरूआ द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका में कहा गया है कि बालगृहों के अभाव में जिन नाबालिग बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये जाते हैं उन्हें या तो जेल या पुलिस की हवालात में रखा जाता है जिससे उनका सामना अपराधियों से पड़ता है।
उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश कर्नाटक उत्तराखंड राजस्थान और हिमाचल प्रदेश ने हर जिले में बाल न्याय बोर्ड और बाल कल्याण समिति बनाने के निर्देश का पालन नहीं किया है।
पीठ को बताया गया कि दिल्ली सरकार भी नौ जिलों में बाल न्याय बोर्ड बनाने में नाकाम रही है क्योंकि ऐसे दो बोर्ड ही राजधानी में काम कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि गुजरात उड़ीसा झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने अच्छा काम किया है।
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