महान मेसी का संन्यास

Last Updated 29 Jun 2016 05:38:03 AM IST

कोपा अमेरिका के सेमीफाइनल के बाद जिस खिलाड़ी लियोनेल मेसी की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, वही मेसी फाइनल में अर्जेंटीना के चिली से लगातार दूसरी बार हारने पर न्यूजर्सी के मेटलाइफ स्टेडियम में बैठकर सिर झुकाए रो रहे थे.


लियोनेल मेसी (फाइल फोटो)

इस हार का मेसी को इतना सदमा लगा कि उन्होंने तत्काल ही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा कर दी.

मेसी ने इस मौके पर कहा कि..मेरा और राष्ट्रीय टीम का साथ यहीं खत्म होता है. मैं जितना कर सकता था, मैंने किया, पर चैंपियन नहीं बन पाना दुख पहुंचाता है...अर्जेंटीना का यह जादुई स्ट्राइकर अभी मात्र 29 साल का है और बार्सिलोना क्लब के लिए रोज नई उपलब्धियां हासिल करता रहा है, इसलिए एकाएक संन्यास लेने से फुटबॉल जगत हतप्रभ रह गया है.

मेसी असल में भावनात्मक खिलाड़ी हैं और लगातार तीन महत्त्वपूर्ण फाइनल में पहुंचकर भी खिताब नहीं जीत पाने ने उन्हें तोड़ दिया और उन्होंने निराशा में संन्यास लेने की घोषणा कर दी. मेसी की तरह ही अर्जेंटीना के एक और महान खिलाड़ी डियागो माराडोना ने कहा कि मेसी का यह संन्यास का फैसला जल्दबाजी में लिया हुआ लगता है. खिताब नहीं जीतने पर उसकी हताशा, गुस्सा सबकुछ समझ में आता है पर चूक सभी से होती है.

मुझे यकीन है कि समय सबकुछ ठीक कर देगा और मेसी एक बार फिर राष्ट्रीय टीम के लिए खेलते नजर आएंगे. मेसी की क्षमता पर कभी किसी को कोई शक नहीं रहा है और उनका पूरा कॅरियर उपलब्धियों से भरा पड़ा है. वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को मिलने वाली \'बेलोन डिओर ट्रॉफी\' पर पांच बार कब्जा जमाने के अलावा अर्जेंटीना के लिए सर्वाधिक 55 गोल जमाने वाले खिलाड़ी हैं. पर इस शानदार खिलाड़ी पर एक आरोप हमेशा लगता रहा है कि वह जिस तरह बार्सिलोना क्लब के लिए खेलते हैं, उस क्षमता से अर्जेंटीना के लिए नहीं खेल पाते हैं. इसलिए ही अर्जेंटीना को 2014 के विश्व कप, 2015 और 2016 के कोपा अमेरिका के फाइनल में हार का सामना करना पड़ा.

मेसी हमेशा मानते रहे हैं कि वह देश के लिए खेलते समय अपने बेस्ट देते रहे हैं पर अपेक्षित परिणाम नहीं आने से उन्हें इस फैसले तक पहुंचने के लिए मजबूर किया. मेसी की हमेशा अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर माराडोना से तुलना की जाती रही है और माराडोना द्वारा 1986 का विश्व कप अपने प्रदर्शन के दम पर अर्जेंटीना को जिताने और मेसी के विश्व कप नहीं जीत पाने पर हमेशा माराडोना को बेहतर खिलाड़ी माना गया. पर इसके बावजूद मेसी के दीवानों  की लंबी फौज है और वह संन्यास को उचित नहीं मानते हैं.



इन प्रशंसकों का कहना है कि मेसी सिर्फ 29 साल के हैं और उन्हें एक बार 2018 में अर्जेंटीना को रूस में होने वाले विश्व कप में चैंपियन बनाने का प्रयास करना चाहिए. मेसी ऐसा करेंगे या नहीं यह तो आने वाला समय ही बताएगा. मेसी के बारे में यह कहना कि वह बार्सिलोना के लिए खेलते समय जैसा प्रदर्शन करते रहे हैं, वैसा अर्जेंटीना के लिए खेलते समय नहीं कर पाते हैं. पर इसके पीछे वजह यह होती है कि बार्सिलोना के लिए खेलते समय उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों का साथ मिलता है और लगातार साथ खेलने से तालमेल भी बेहतर बन जाता है. लेकिन राष्ट्र के लिए खेलते समय ऐसा नहीं होता है.

मेसी को हमेशा ही जज्बे वाला खिलाड़ी माना जाता रहा है और कॅरियर में आई तमाम मुश्किलों को वह पार करते रहे हैं. लेकिन चिली के खिलाफ फाइनल में पेनाल्टी मिस करने और अर्जेंटीना की हार ने उन्हें इतना आहत कर दिया कि संन्यास लेने का फैसला कर बैठे. पर इन्हीं मेसी को 11 साल की उम्र में जब पता चला कि हार्मोन की कमी से शरीर का विकास रुक गया और इसके इलाज के लिए उनके घर वालों के पास पैसे नहीं हैं. उन्होंने अपने क्लब से इलाज के लिए पैसे मांगे जो नहीं मिल सके.

इस स्थिति में उनके स्पेन में रहने वाले रिश्तेदारों ने उन्हें बार्सिलोना क्लब से खेलने की सलाह दी और इस कलब में जब 13 साल की उम्र में वह शामिल हुए तो सबकुछ ठीक-ठाक ही नहीं हो गया बल्कि उन्हें दुनिया का नंबर एक खिलाड़ी माना जाने लगा. पर अब मेसी के अर्जेंटीना के लिए खेलते नहीं देखकर फुटबॉल प्रेमियों को खलेगा तो जरूर.

 

 

मनोज चतुर्वेदी
पत्रकार एवं लेखक


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