कोटा में करोड़ों रूपये की कमायी के बावजूद कोचिंग विद्यार्थियों के लिए सरकारी परामर्श केन्द्र नहीं
शिक्षा नगरी के रूप में विख्यात राजस्थान के कोटा शहर में सरकार को कोचिंग संस्थानों से हर साल सेवा कर के रूप में करोड़ों रूपये मिलने के बावजूद कोचिंग विद्यार्थियों के को इससे उबारने के लिए परामर्श केन्द्र नहीं होने से आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ रही है.
(फाइल फोटो) |
मध्य प्रदेश के नीमच निवासी चन्द्रशेखर गौड़ को सूचना के अधिकार के माध्यम से केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग ने जानकारी दी है कि कोटा से पिछले तीन साल में सेवा कर, कृषि उपकर और कृषि कल्याण उपकर से वित्तिय वर्ष 2013 से लेकर जून 2016 तक 468 करोड़ चौवन लाख रूपये मिले हैं.
कभी औद्योगिक नगरी के नाम से पहचान वाले कोटा करीब एक दशक से शिक्षा विशेषकर इंजीनियरिंग, मेडिकल शिक्षा में प्रवेश के वास्ते ली जाने वाली परीक्षा उर्त्तीण करने के लिए तैयारी कोंचिग के रूप में विकसित हो चुका है.
कोटा में करीब 36 कोंचिग केन्द्र है इनमें दस नामी केन्द्र शामिल हैं. इन केन्द्रों में डेढ़ से दो लाख बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा की तैयारी के लिए हर साल दाखिला लेते है.
मनोचिकित्सक एम अग्रवाल के अनुसार कोचिंग में पढ़ने वाले विद्यार्थी पढ़ाई के तनाव, घर से दूर रहने और शारीरिक रूप से हो रहे बदलाव से दूसरों की तरफ आर्कषण बढ़ने के कारण आत्महत्याएं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसेलिंग नहीं होने के कारण आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. उन्होंने दावा किया कि सही समय पर काउसलिंग करके मैंने कई बच्चों को आत्महत्या करने से रोका है.
कोटा के जिला कलक्टर एवं मजिस्ट्रेट वी श्रवण कुमार ने माना कि कोटा में कोचिंग विद्यार्थियों के तनाव को कम करने और उनकी समस्या के समाधान करने के लिए सरकार की ओर से संचालित काउंसेलिंग केन्द्र जयपुर में नहीं है.
लेकिन जिला प्रशासन ने प्रत्येक कोचिंग केन्द्र को एक काउंसेलिंग केन्द्र संचालित करने के स्पष्ट निर्देश दिये हुए है.
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