किसानों को उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि देने पर विचार
कृषि सब्सिडी खत्म करके किसानों को उत्पादन पर प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने पर विचार हो रहा है। संसद की कृषि मामलों की स्थाई समिति में इस पर चर्चा हुई है।
किसानों को उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि देने पर विचार |
इसमें सभी छोटे-बड़े किसानों को प्रोत्साहन राशि देने की बात हो रही है। कहा यह भी जा रहा है कि क्यों न प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ किसानों को फसल और उसकी बिक्री से सम्बंधित बेहतर ट्रेनिंग भी दी जाए। यह चर्चा किसानों की कर्ज माफी के क्रम में हो रही है, जिसके विषय में विशेषज्ञ यह कह रहे हैं कि इससे किसान को तात्कालिक लाभ ही होता है,क्यों न उसके दीर्घकालिक लाभ के विषय में सोचा जाए।
इस विषय पर भी गहन चर्चा हो रही है कि कैसे फसल बीमा को किसानों के लिए अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है। इसी सिलसिले में फसल बीमा योजना में बैरियर समाप्त करने पर विचार किया जा रहा है। संसद की स्थाई समिति के भी अधिकांश सदस्यों का भी मत है कि किसानों की यह आम धारणा है कि फसल बीमा का अधिक फायदा उनकी बजाय कंपनियों को होता है।
स्थाई समिति के एक सदस्य ने कहा कि जहां तक किसानों को सब्सिडी की बात है, वह उसे खाद, बिजली और कुछ राज्यों में बिना ब्याज के कर्ज के जरिए मिलती है। उन्होंने कहा कि इसे समाप्त करके प्रोत्साहन राशि के फामरूले के बारे में गंभीरता से सोचा जा रहा है। जब उनसे पूछा गया कि प्रोत्साहन राशि कितनी होनी चाहिए, तो उन्होंने कहा कि इसके विषय में तो सरकार को सोचना है कि उसके खजाने में कितना पैसा है। उधर महाराष्ट्र के किसान नेता और स्वाभिमानी पक्ष पार्टी से लोकसभा सांसद राजू शेट्टी का कहना है कि प्रोत्साहन राशि देते वक्त पट्टे पर खेती करने वाले किसानों और खेतिहर श्रमिकों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में हर तरह के किसान को प्रति एकड़ एक निश्चित राशि की आर्थिक मदद दी गई, इस फामरूले पर भी विचार किया जा सकता है।
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