आरबीआई के डेपुटी गर्वनर एस एस मुंद्रा ने कहा- डिजिटल बैंकिंग नहीं अपनाया तो इतिहास बन जाएंगे बैंक

Last Updated 21 Feb 2017 09:45:40 AM IST

आरबीआई के डेपुटी गर्वनर एस एस मुंद्रा ने कहा, \'अब फिनटेक का जमाना है और पारंपरिक बैंकों के वक्त नहीं है. उन्हें जल्दी से नए जमाने की डिजिटल बैंकिंग में बदलना होगा, ताकि वे इतिहास का हिस्सा ना बन जाएं.\'




आरबीआई के डेपुटी गर्वनर एस एस मुंद्रा (फाइल फोटो)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को कहा कि पारंपरिक बैंकों को नए जमाने के डिजिटल बैंक के रूप में बदलने की जरूरत है ताकि वे परिचालन जारी रख सकें, नहीं तो वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) युक्त ऋण मुहैया करानेवाली कंपनियां सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) के वैकल्पिक स्रोत के रूप में तेजी से उभर रही है. आरबीआई के डेपुटी गर्वनर एस एस मुंद्रा ने कहा, "अब फिनटेक का जमाना है और पारंपरिक बैंकों के वक्त नहीं है. उन्हें जल्दी से नए जमाने की डिजिटल बैंकिंग में बदलना होगा, ताकि वे इतिहास का हिस्सा ना बन जाएं."

उन्होंने कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर बैंकिंग द्वारा आयोजित एनएएमसीएबीएस (नेशनल मिशन फॉर कैपिसिटी बिल्डिंग ऑफ बैंकर्स फॉर फाइनेंसिंग एमएसएमई सेक्टर) सम्मेलन के उद्घाटन
संबोधन में यहां यह बातें कही.

मुंद्रा ने कहा, "फिनटेक वित्तीय कंपनियां छोटे व्यापारियों के लिए वित्त के वैकल्पिक स्रोत के रूप में उभरी है."



उन्होंने कहा कि बैंकों को फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए न कि किसी खतरे की तरह.

उन्होंने कहा अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) के आंकड़ों के मुताबिक अकेले उभरती अर्थव्यवस्था के बाजारों में सभी औपचारिक और अनौपचारिक एमएसएमई के बीच 2,100 हजार करोड़ डॉलर से लेकर 2,600 हजार करोड़ डॉलर की निधि संचय में व्यवधान है जो एमएसएमई के वर्तमान में बकाये ऋण का 30 से 36 फीसदी बैठता है.

 

आईएएनएस


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