अभी सुनवाई स्थगित

Last Updated 06 Dec 2017 03:11:55 AM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने राममंदिर-बाबरी मस्जिद मसले पर पांच नवम्बर से की जाने वाली तय सुनवाई को आठ फरवरी तक टाल दिया है.


अभी सुनवाई स्थगित

इस दिन वह पूरे दस्तावेज के साथ दोनों पक्षों को बुलाया है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस तिथि से रोजाना सुनवाई होगी या फिर कोई तारीख तय की जाएगी. अदालत ने अन्य महत्त्वपूर्ण मसले में अपनी व्यस्तताओं को देखते हुए अयोध्या कांड पर सुनवाई मुल्तवी की है. हालांकि इससे पूरा देश मायूस हुआ है. दरअसल, सभी चाहते हैं कि अदालत जितनी जल्दी हो, इस विवाद का निपटारा कर दे. अभी इसमें राहत की बात इतनी ही है कि अदालत ने सुनवाई से इनकार नहीं किया है.

वहीं सभी पक्ष इस पर कायम हैं कि सर्वोच्च न्यायालय जो भी फैसला देगा, वह उन्हें स्वीकार होगा. ऐसे में मानना चाहिए कि वे सब अपने वचन का पालन करेंगे. न्यायालय के सामने मुख्य सवाल यही है कि क्या उस स्थान पर हिन्दू मंदिर था जिसे तोड़कर बाबरी ढांचे को खड़ा किया गया? या, वहां बाबरी मस्जिद ही थी? इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने माना था कि वहां मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.

पर तीसरे न्यायाधीश ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई. हां, उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि मस्जिद के नीचे हिन्दू स्थापत्य शिल्प के अवशेष मिले हैं. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विवादास्पद भूमि को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में बराबर-बराबर बांट दिया था.

लेकिन यह फैसला किसी को मंजूर नहीं हुआ था. दरअसल, दोनों पक्ष सम्पूर्ण जमीन पर अपना हक चाहते हैं. हालांकि बेहतर यही होता कि इस मामले का निपटारा हिन्दू और मुसलमानों के बीच आपसी बातचीत से हो जाता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इससे संबंधित जो प्रयास हुए उनका कोई परिणाम निकला ही नहीं. जब दोनों में से कोई पक्ष अपने रु ख में नरमी लाने को तैयार नहीं है तो बातचीत से इसके समाधान का सवाल ही कहां पैदा होता है!

देश चाहता है कि इस मामले का न्यायोचित निपटारा जल्दी हो जाए. इस लिहाजन, सभी को सर्वोच्च न्यायालय का प्रतिदिन सुनवाई करने का फैसला स्वागतयोग्य लगा है. इससे यह भी लगता है कि न्यायालय मामले का जल्द से जल्द निपटारा चाहता है. ऐसे में न्यायालय के अंतिम फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए और जो फैसला आए उसे स्वीकार कर इस विवाद का स्थायी रूप से अंत कर दिया जाए.



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