ढांचागत विकास रामबाण
वैश्विक मंदी के दौर को थामने के लिए ढांचागत क्षेत्र का विकास बेहद महत्त्वपूर्ण है. विश्वभर में इस क्षेत्र में अच्छे-खासे निवेश की दरकार है.
ढांचागत विकास रामबाण |
भारत में भी आगामी दस वर्षो के दौरान ढांचागत क्षेत्र में 1.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी.
चीन में एशिया इंफ्रास्क्ट्रचर इंवेस्टमेंट बैंक के बोर्ड ऑफ गवनर्स की बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र में प्रयासों में तेजी लाकर ही भारत बीते समय में वैश्विक मंदी के दुष्प्रभावों से खुद को महफूज रख सका. आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और गरीबी के दंश से मुक्ति दिलाने में ढांचागत क्षेत्र का महत्त्व सर्वविदित है.
इस करके मोदी सरकार ढांचागत क्षेत्र में तमाम महत्त्वाकांक्षी योजनाओं को क्रियान्वित करने की दिशा में अग्रसर है. वर्ष 2019 तक सात हजार से ज्यादा गांवों को संपर्क मागरे के जरिए जोड़े जाने का मंसूबा बांधा गया है. ग्रामीण इलाकों में वृहद् स्वच्छता अभियान शुरू किया गया है. इसी वर्ष दस हजार किमी. लंबे राजमागरे का निर्माण किया जाना है.
सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी हो चुकी रेल प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त बनाए रखने की गरज से इसका अत्याधुनिकीकरण किए जाने की जरूरत भी शिद्दत से महसूस की जा रही है. इसके अलावा, हवाई अड्डे, बंदरगाह पत्तन, बिजली संयंत्र आदि तमाम क्षेत्र हैं, जिनके निर्माण और विकास की ओर ध्यान दिया जाना जरूरी है.
ढांचागत क्षेत्र में धन मुहैया कराने के लिए इंडिया इंफ्रास्क्ट्रचर इंवेस्टमेंट फंड बनाया गया है. अलबत्ता, इसमें सरकार की हिस्सेदारी बनिस्बत कम रखी गई है.
दरअसल, सरकार की अरसे से कोशिश है कि ढांचागत क्षेत्र में निजी भागीदारी को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहित किया जाए. अनुभव सिद्ध है कि इस प्रकार की भागीदारी से निर्माण परियोजनाओं में लागत-आधिक्य नियत समय-आधिक्य जैसी अड़चनें मुंह नहीं उठाने पातीं.
वैश्विक मंदी की प्रतिकूलताओं से बचे रहने के अलावा भारत के लिए ढांचागत क्षेत्र का विकास एक अन्य कारण से भी महत्त्वपूर्ण है. यह कि इस क्षेत्र में विकास के बल पर उसके विकसित देशों की कतार में शुमार होने की संभावनाएं प्रबल हैं. ढांचागत क्षेत्र में परियोजनाओं के सफल क्रियान्वयन का एक और फायदा यह होता है कि निवेश पर जोखिम कम से कम हो जाता है.
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