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- जूनियर विश्व कप हाकी: 'अभी तो शुरूआत है, बहुत कुछ जीतना बाकी है'

और अब चैन की नींद सो सकेंगे कोच हरेंद्र...ग्यारह बरस पहले रोटरडम में कांसे का तमगा नहीं जीत पाने की टीस उनके दिल में नासूर की तरह घर कर गई थी और अपनी सरजमीं पर घरेलू दर्शकों के सामने इस जख्म को भरने के बाद कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके. भारत के फाइनल में प्रवेश के बाद जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा ,‘‘ यह मेरे अपने जख्म है और मैं टीम के साथ इसे नहीं बांटता. मैने खिलाड़ियों को इतना ही कहा था कि हमें पदक जीतना है, रंग आप तय कर लो. रोटरडम में मिले जख्म मैं एक पल के लिये भी भूल नहीं सका था.’’
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