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- आंगन से क्यों गायब हो रही नन्ही गौरैया?

रासायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग भी कारण : खेती-किसानी में रसायनिक उर्वरकों का बढ़ता प्रयोग बेजुबान पक्षियों और गौरैया के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है. आहार भी जहरीले हो चले हैं. केमिलयुक्त रसायनों के अधाधुंध प्रयोग से कीड़े मकोड़े भी विलुप्त हो चले हैं, जिससे गौरैया को भोजन का भी संकट खड़ा हो गया है. उर्वरकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी में पैदा होने वाले कीड़े-मकोड़े समाप्त हो चले हैं, जिससे गौरैयों को भोजन नहीं मिल पाता है. हमारे आसपास के हानिकारण कीटाणुओं को यह अपना भोजना बनाती थी, जिससे मानव स्वस्थ्य और वातावरण साफ-सुथरा रहता था. दूसरा बड़ा कारण मकर संक्रांति पर पतंग उत्सवों के दौरान काफी संख्या में हमारे पक्षियों की मौत हो जाती है. पतंग की डोर से उड़ने के दौरान इसकी जद में आने से पक्षियों के पंख कट जाते हैं. हवाई मार्गो की जद में आने से भी इनकी मौत हो जाती है. दूसरी तरफ, बच्चों की ओर से चिड़ियों को रंग दिया जाता है, जिससे उनका पंख गीला हो जाता है और वह उड़ नहीं पाती. हिंसक पक्षी जैसे बाज वगैरह हमला कर उन्हें मौत की नींद सुला देते हैं. वहीं मनोरंजन के लिए गौरैया के पैरों में धागा बांध दिया जाता है. कभी-कभी धागा पेड़ों में उलझ जाता है, जिससे उनकी जान चली जाती है.