आंगन से क्यों गायब हो रही नन्ही गौरैया?

गौरैया संरक्षण दिवस: आंगन से क्यों गायब हो रही नन्ही गौरैया

गौरैया को पसंद है साथियों का झुंड : गौरैया का संरक्षण हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी है. इंसान की भोगवादी संस्कृति ने हमें प्रकृति और उसके साहचर्य से दूर कर दिया है. विज्ञान और विकास हमारे लिए वरदान साबित हुआ है. लेकिन दूसरा पहलू कठिन चुनौती भी पेश किया है. गौरैया एक घरेलू और पालतू पक्षी है. यह इंसान और उसकी बस्ती के पास अधिक रहना पसंद करती है. पूर्वी एशिया में यह बहुतायत पाई जाती है. यह अधिक वजनी नहीं होती है. इसका जीवन काल दो साल का होता है. यह पांच से छह अंडे देती है. आंध्र विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में गौरैया की आबादी में 60 फीसदी से अधिक की कमी आई है. ब्रिटेन की 'रायल सोसाइटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्डस' ने इस चुलबुली और चंचल पक्षी को 'रेड लिस्ट' में डाल दिया है. दुनियाभर में ग्रामीण और शहरी इलाकों में गौरैया की आबादी घटी है.

 
 
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