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- ...इस तरह पूरी हुई जयललिता की अधूरी कहानी

जयललिता एमजीआर के घर के सामने कार से उतरीं और अपनी हथेलियों से जोर-जोर से दरवाजा खटखटाने लगीं. जब गेट खुला तो किसी ने उनको नहीं बताया कि एमजीआर का शव कहां रखा गया है. वो गेट से पीछे की सीढ़ियों तक कई बार दौड़ कर गई लेकिन एमजीआर के घर का हर दरवाजा उनके लिए बंद कर दिया गया. बाद में जयललिता को पता चल गया कि एमजीआर के पार्थिव शरीर को पिछले दरवाजे से राजाजी हॉल ले जाया गया है. जयललिता राजाजी हॉल आकर एमजीआर के सिरहाने पहुंचने में सफल हो गई. लेकिन यहां जयललिता की आंख से एक आंसू नहीं निकला. वो दो दिन तक एमजीआर के पार्थिव शरीर के सिरहाने खड़ी रहीं. पहले दिन 13 घंटे और अगले दिन 8 घंटे तक.
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