क्या सिद्धू की आवाज-ए-पंजाब से अन्य पार्टियों को डरना चाहिए?

क्या सिद्धू की आवाज-ए-पंजाब से अन्य पार्टियों को डरना चाहिए?

ऐसे समय में नवजोत सिंह सिद्धू ने अचानक नई पार्टी बनाकर अन्य पार्टियों की मुसीबत बढ़ा दी है. पंजाब विधानसभा चुनाव में ज्यादा समय नहीं रह गया है. चुनाव अगले वर्ष की शुरुआत में होने हैं. इससे ठीक पहले सिद्धू ने अपने नए राजनीतिक मोर्चा आवाज-ए-पंजाब का गठन किया है. क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू के इस मोर्चे में अकाली दल के निष्कासित नेताओं के साथ मिलकर अपने नए दल का गठन किया है. आवाज-ए-पंजाब में सिद्धू के साथ पूर्व हॉकी खिलाड़ी परगट सिंह, बैंस बंधु सिमरजीत सिंह बैंस और बलविंदर सिंह बैंस भी शामिल हैं. परगट सिंह भी हाल में अकाली दल से निलंबित किए गए थे. सिद्धू की पार्टी के इस चुनाव में उतरने से भाजपा, अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की रणनीति को झटका लगा है क्योंकि लोगों को एक नया विकल्प मिल गया है. सिद्धू पंजाब में एक लोकप्रिय चेहरा हैं, जबकि अन्य पार्टियों के पास कोई ऐसा चेहरा नहीं जिसको आगे करके वह चुनाव लड़ सकें. वहीं क्रिकेटर, कमेंट्रेटर और टीवी कलाकार होने के नाते सिद्धू की पास एक बड़ा प्रशंसक वर्ग है. साथ ही वह एक ऐसे सिख चेहरा हैं जो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय है. सिद्धू की विधायक पत्नी नवजोत कौर भी जाना-पहचाना चेहरा हैं और उनकी राजनीति में अच्छी पकड़ है. ये सारी चीजें सिद्धू की पार्टी के हक में जाती नजर आती हैं. ऐसे में अन्य पार्टियों के लिए ये चुनावी राह आसान नजर नहीं आती...

 
 
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