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- आ गई होली, बसरेंगे लठ, लड्डू और रंग

कई गांवों में तो चरकुला नृत्य की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. इसकी भी एक अलग कहानी है. कहा जाता है कि जब राधारानी की नानी मुखरा देवी ने अपनी धेवती के जन्म का समाचार सुना तो वे खुशी के बारे रथ का पहिया उठाकर नाचने लगी थीं. तभी से होली के मौके पर इस परंपरा ने जन्म ले लिया और नृत्यांगनाएं सवा मन वजन तक का चरकुलॉ उठाकर परंपरा का निर्वहन करने लगीं.
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