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- आ गई होली, बसरेंगे लठ, लड्डू और रंग

दूसरी, सभी जगह देवर-भाभी के बीच होने वाली होली की आम परंपराओं से अलग यहां के हुरंगों में वधुएं, जेठों से होली खेलती हैं, वह भी घूंघट की प्रथा का पूरी तरह पालन करते हुए. वे हाथ में लिए दर्पण में अपने जेठ का चेहरा देखती हैं और फिर निशाना लगाकर उनके पैरों पर लाठियां बरसाती हैं. इस प्रकार करीब एक पखवाड़े तक यहां के गांवों में होली के बाद भी हुरंगों के रूप में होली जारी रहती है. बीच-बीच में गांवों में चरकुला नृत्य के आयोजन चलते रहते हैं.
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