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- आ गई होली, बसरेंगे लठ, लड्डू और रंग

बलदेव, जाब-बठैन आदि गांवों के हुरंगा विशेष रूप से दर्शनीय हैं. इनकी अपनी अलग-अलग पहचान और परंपराएं हैं. बलदेव में बलदाऊ और रेवती मैया के समक्ष हुरंगा खेला जाता है. जिसमें गांव की वधुएं मंदिर के प्रांगण में छेड़छाड़ करने वाले देवरों को गिराकर उनके कपड़े फाड़ने के बाद उसका पोतना बनाकर उनकी (देवरों) की नंगी पीठ पर बरसाती हैं. जाब-बठैन के हुरंगे दो प्रकार से ब्रज में होने वाले होली के अन्य सभी आयोजनों से अलग होते हैं. क्योंकि अन्य होली परंपराओं से विलग यहां की होली गोस्वामी समाज के बजाए बहुसंख्यक जाट समाज के बीच खेली जाती है.
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