42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरुणा शानबाग : 42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

मंगलवार को अरूणा की देखरेख कर रही नर्सों ने देखा कि उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. तब उन्होंने उसे कक्ष से बाहर निकाला और आईसीयू ले गईं जहां उसे एंटीबायोटिक दवाएं दी गईं. केईएम अस्पताल नगर निगम द्वारा संचालित है और नगर निगम ने 1980 के दशक में अरूणा को अस्पताल से बाहर निकालने का प्रयास किया था जिसका व्यापक विरोध हुआ. अरूणा की देखभाल करने वाली नर्सों ने इस प्रयास के विरोध में हड़ताल कर दी थी.

 
 
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