42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरुणा शानबाग : 42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरूणा की बड़ी बहन और एकमात्र संबंधी शांता नाइक ने आर्थिक समस्याओं का हवाला देते हुए उसकी देखरेख करने में अक्षमता जाहिर की थी. मुंबई की नर्सों ने अरूणा पर हमले के बाद उसके लिए और अपने लिए कार्य की बेहतर स्थितियों की मांग को लेकर हड़ताल की थी. पिंकी ने उत्तर प्रदेश के हल्दीपुर की रहने वाली अरूणा की कहानी वर्ष 1998 में अपनी ‘नॉन फिक्शन’ किताब ‘अरूणा'ज स्टोरी’ में बताई. अरूणा पर दत्तकुमार देसाई ने 1994-95 में मराठी नाटक ‘कथा अरूणाची’ लिखा जिसका वर्ष 2002 में विनय आप्टे के निर्देशन में मंचन किया गया.

 
 
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