42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरुणा शानबाग : 42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

बहरहाल, कोर्ट ने स्थानीय कोमा की स्थिति में मरीजों को जीवनरक्षक प्रणाली से हटा कर ‘परोक्ष इच्छामृत्यु’ (पैसिव यूथनेशिया) की अनुमति दे दी लेकिन जहरीले पदार्थ का इंजेक्शन दे कर जीवन समाप्त करने के तरीके ‘प्रत्यक्ष इच्छामृत्यु’ (एक्टिव यूथनेशिया) को खारिज कर दिया. अरूणा को दया मृत्यु देने से इंकार करते हुए कोर्ट ने कुछ कड़े दिशानिर्देश तय किए जिनके तहत हाईकोर्ट की निगरानी व्यवस्था के माध्यम से ‘परोक्ष इच्छामृत्यु’ कानूनी रूप ले सकती है.

 
 
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