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- 42 साल वह जिंदा होकर भी जिंदा न थी

अरूणा को जिंदा लाश में तब्दील कर देने वाले हमले के 38 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने 24 जनवरी 2011 को पत्रकार पिंकी विरानी द्वारा किए गए इच्छा मृत्यु के आग्रह पर प्रतिक्रिया देते हुए अरूणा के स्वास्थ्य की जांच के लिए एक चिकित्सा पैनल गठित किया. पिंकी ने अरूणा को इच्छामृत्यु देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी. कोर्ट ने सात मार्च 2011 को दया मृत्यु संबंधी याचिका खारिज कर दी.
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